अपराध के लिए बदनाम जिलों का 'सिंघम' है यह आईपीएस

अपराध के लिए बदनाम जिलों का 'सिंघम' है यह आईपीएस

ग्वालियर
कुछ साल पहले तक देश में भिंड, ग्वालियर जिले की पहचान हत्या, अपहरण और लूट जैसे संगीन अपराधों के लिए होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में इन जिलों में संगीन अपराधों का ग्राफ तेजी से गिरा है। यह आईपीएस नवनीत भसीन के जनसंवाद के वजह से संभव हुआ है। भिंड एसपी रहते उन्होंने हर गांव में संपर्क सूत्र बनाया। यही फंडा उन्होंने ग्वालियर एसपी के रूप में अपनाया है। जिसका परिणाम यह रहा कि जिले में संगीन अपराधों में 50 फीसदी तक की कमी आई है। 

2009 बैच के आईपीएस अधिकारी नवनीत भसीन को पिछले साल 2 अप्रैल के आंदोलन के बाद विपरीत हालात में ग्वालियर एसपी की कमान सौंपी गई थी। उन्होंने जनसंवाद को प्राथमिकता दी। नतीजतन हत्या, अपहरण, दुष्कर्म, बलवा जैसे संगीन अपराधों में 45 फीसदी तक की गिरावत आई है। खास बात यह है कि दलित आंदोलन के बाद ग्वालियर में कई बार जातीय संघर्ष के हालात बने, विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन एक भी बार कानून व्यवस्था नहीं डगमगाई। इतना ही नहीं लूट, डकैती, चैन लूट, गृहभेद, चोरी की घटनाओं में 35 फीसदी तक की कमी आई है। पुलिस ने पिछले कुछ महीनों में 2 करोड़ 8 लाख की स्मैक जब्त की है। ग्वालियर प्रदेश का एक मात्र ऐसा जिला है, जहां संगीन अपराधों का ग्राफ सबसे ज्यादा गिरा है। 

भसीन ने मई 2015 में भिंड एसपी की कमान संभाली। भिंड ऐसा जिला है जहां सबसे ज्यादा अवैध हथियार एवं वाहनों की चोरी होती है। भसीन ने भिंड के ऐसे गांवों का दौरा किया, जहां कभी पुलिस का आला अधिकारी नहीं पहुंचा। उन्होंने डेढ़ साल के कार्यकाल में भिंड के गांवों में 2500 से ज्यादा विजिटिंग कार्ड बांटे, परिणाम यह हुआ कि संगीन अपराधों की सूचना सीधे एसपी को मिलने लगी। पुलिस ने अवैध कट्टे की फैक्ट्री पकड़ी। नकल माफिया पर तत्कालीन कलेक्टर टी इलैया राजा के साथ मिलकर अंकुश लगाया। भिंड के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था।