अब इस कांग्रेस नेता ने बागी होकर भरा निर्दलीय नामांकन, परिणाम भुगतने की दी चेतावनी
खरगोन
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में बगावत के सुर थमने का नाम नही ले रहे है। टिकट वितरण के बाद से ही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है।दावेदार टिकट ना मिलने पर बगावत पर उतर आए है। अब टिकट ना मिलने से नाराज बड़वानी के पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुखलाल परमार ने खरगोन लोकसभा सीट से कांग्रेस से बागी होकर अपना नामांकन फार्म जमा कर दिया है और पार्टी को परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी है। वैसे कांग्रेस ने अधिकारिक तौर पर यहां से डॉक्टर गोविंद मुजाल्दा को टिकट दिया है, जबकी भाजपा ने गजेन्द्र पटेल को मैदान मे उतारा है। परमार के नामांकन भरने पर कांग्रेस मे हलचल तेज हो गई , पार्टी नेताओं द्वारा लगातार उन्हें समझाइश दी जा रही है।
हैरानी की बात तो ये है कि सुखलाल परमार ने जिला निर्वाचन अधिकारी को कांग्रेस पार्टी से एक और एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन फार्म जमा किया है। परमार ने पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे 30 साल से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, 15 साल में सेंधवा में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाई। 5 साल में जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहने के दौरान पार्टी को मजबूत किया। पत्नी सुभद्रा परमार जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए दावेदार थी, लेकिन उन्हें अध्यक्ष नहीं बनाया। पिछले दो विस चुनाव से वे सेंधवा से दावेदार, लेकिन टिकट नहीं दिया। वरिष्ठ नेताओं ने दोनों जिलों में पहचान होने के चलते लोकसभा चुनाव में ध्यान रखे जाने की बात कही थी। कांग्रेस ने मेरे साथ धोखा किया है। जिसका परिणाम पार्टी को भुगतना पड़ेगा। बावजूद इसके मुझे टिकट नही दिया गया।
उन्होंने कहा कि डॉ. मुजाल्दे को न तो क्षेत्र में कोई जानता है न संगठन में कोई योगदान है। चुनाव से पहले सरकारी नौकरी छोड़ी है। कांग्रेस ने डॉ. गोविंद मुजाल्दा को पैराशूट उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है, उनके पास पार्टी की सदस्यता भी नहीं है। वही इस पूरे घटनाक्रम के बाद कांग्रेस में हड़कंप मच गया है। चुंकी सालों से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बना हुआ है और इस बार जीत हासिल करने का लक्ष्य लेकर कांग्रेस ने मुजाल्दा को मैदान में उतारा है, लेकिन बगावत के चलते इस सीट पर जीत हासिल करना मुश्किलें साबित हो रहा है, हालांकि पार्टी द्वारा लगातार परमार को समझाइश दी जा रही है, लेकिन वे मानने को तैयार नही है। अगर परमार निर्दलीय चुनाव लड़ते है तो वोटों का तो जमकर बिखराव होगा, जिसका फायदा बीजेपी को मिलेगा।