अमृतसर हमले का ISI कनेक्शन, खालिस्तानी स्लीपर सेल पर भी शक

नई दिल्ली
अमृतसर के निरंकारी समागम में हुए हमले के बाद कई थ्योरी सामने आ रही है. खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के मुताबिक ये हमला पंजाब में खालिस्तानी आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल का काम हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक कई आतंकी संगठन पंजाब में आतंकवाद की आंच को सुलगाने में लगे हैं. ये काम उन्हीं का हो सकता है.
बता दें कि पंजाब में आतंकवाद की शुरूआत तब हुई थी जब 1978 में अकाली सिखों और निरंकारी समर्थकों के बीच भिड़ंत हुई थी. 13 अप्रैल 1978 को बैसाखी से एक दिन पहले अमृतसर में बैसाखी भवन पर हमला हुआ था. हमले के बाद अकाली कार्यकर्ता और निरंकारी समर्थक भिड़ गए थे. इस खूनी संघर्ष में 13 अकाली मारे गए थे. इसके बाद इस खूनी संघर्ष के विरोध में जब अकालियों ने प्रदर्शन किया था तो उस दौरान आतंकी जरनैल सिंह भिडंरावाला इस मोर्चे में शामिल हुआ था.
ऐसा माना जाता है कि अकाली और निरंकारी समर्थकों के बीच संघर्ष के बाद ही पंजाब में आतंकवाद का बीज पड़ा. रविवार को अदलीवाल गांव राजासांसी इलाके में हुआ हमला सुनियोजित लगता है. इस दिन निरंकारी समागम में सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ जुड़ती है. पंजाब पुलिस के आईजी एसपीएस परमार ने बताया कि बाइकसवार हमलावर हथियारों से लैस थे और उन्होंने नकाब पहन रखे थे. आईजी के मुताबिक हमलावरों को गेट पर तैनात एक महिला श्रद्धालु ने रोका भी, लेकिन हमलावरों ने पिस्टल दिखाकर उसे काबू में कर लिया और अंदर घुस गए.
इधर दिल्ली से सूचना है कि इस हमले के पीछे गोपाल सिंह चावला का भी हाथ हो सकता है. गोपाल सिंह चावला को पाकिस्तान में कई बार आतंकी हाफिज सईद के साथ देखा गया था. खुफिया एजेंसी को मिली सूचना के मुताबिक गोपाल सिंह आईएसआई के निर्देश पर पंजाब में हमले की साजिश रच रहा था. गोपाल सिंह एक ऐसे एप के जरिये युवाओं को भारत के खिलाफ बरगला रहा था, जिसे डिटेक्ट कर पाना काफी मुश्किल था.