आयुष्मान में प्रसव, मोतियाबिंद और रूट कैनाल!

आयुष्मान में प्रसव, मोतियाबिंद और रूट कैनाल!

नई दिल्ली

देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना के तौर पर प्रचारित किए जा रही आयुष्मान भारत योजना यानी मोदीकेयर के तहत गंभीर बीमारियों से ज्यादा आम बीमारियों का इलाज हुआ है। साथ ही मान्यताप्राप्त अस्पतालों ने अभी तक इस योजना में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है और वे इससे दूर ही रहे हैं। 

सरकार द्वारा जुटाए गए आयुष्मान योजना के दो महीनों के आंकड़ों में मुताबिक इसके तहत ज्यादातर लोगों ने मोतियाबिंद का इलाज, डेंटल रूट कैनाल और सामान्य प्रसव ही कराया है। योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में 6,900 मरीजों का मोतियाबिंद का इलाज हुआ है, 4,900 मरीजों ने रूट कैनाल कराया है और 4,500 महिलाओं का सामान्य प्रसव हुआ है। 

आंकड़ों के मुताबिक आयुष्मान भारत योजना के तहत सामान्य चिकित्सा में विशेषज्ञता रखने वाले ज्यादा अस्पतालों को सूचीबद्घ किया गया है जबकि कैंसर जैसे गंभीर रोगों में विशेषज्ञता रखने वाले अस्पतालों की संख्या कम है। सामान्य सर्जरी और चिकित्सा में विशेषज्ञता रखने वाले 7,000 से अधिक अस्पतालों को इस योजना में शामिल किया गया है जबकि रेडिएशन और दिल की गंभीर बीमारियों का इलाज करने वाले अस्पतालों की संख्या सैकड़ों में है।

आयुष्मान भारत योजना में शामिल अधिकांश अस्पताल मल्टी स्पेशिएलिटी श्रेणी के हैं। दूसरे देश में 22,000 से अधिक अस्पतालों को इसमें शामिल किया जा चुका है। सरकार मान्यता प्राप्त अस्पतालों को अतिरिक्त लाभ दे रही है लेकिन आंकड़ों के मुताबिक उनके पंजीकरण की संख्या बहुत कम है।

आयुष्मान भारत योजना में शामिल अस्पतालों में से 66 फीसदी के पास कोई मान्यता नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के नैशनल क्वालिटी एश्योरेंस प्रोग्राम और जेसीआई से मान्यता प्राप्त अस्पतालों की संख्या एक-एक फीसदी है। आयुष्मान भारत योजना में शामिल 11 फीसदी अस्पतालों को एनएबीएच से मान्यता मिली है। योजना में शामिल 73 फीसदी अस्पताल सार्वजनिक क्षेत्र के हैं।

आयुष्मान भारत के तहत अधिकांश दावे गुजरात से आए हैं जहां 50,000 से अधिक मरीजों ने इसका फायदा उठाया है। इसके बाद तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, केरल और कर्नाटक की बारी है। यह योजना 25 सितंबर को शुरू हुई थी और अब तक 800,000 से अधिक सत्यापित लाभार्थियों ने इस योजना का लाभ उठाया है। इसके तहत 3.6 अरब रुपये के दावे किए गए हैं। 

इस योजना का मकसद 50 करोड़ गरीबों को 500,000 रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर देना है। इसके तहत सामाजिक-आर्थिक जातिवार जनगणना में शामिल लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जाएगी लेकिन राज्य गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को भी इसमें शामिल कर रहे हैं। ऐसे लाभार्थियों के लिए राज्य सरकारें प्रीमियम का खर्च वहन करेंगी। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुल 60 अरब रुपये खर्च का अनुमान जताया है। इसमें से 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य वहन करेंगे। फरवरी में पेश बजट में सरकार ने इसके लिए 20 अरब रुपये आवंटित किए हैं।