इस चिल्ड्रेन्स डे, बच्चों से सीखें ये 5 अच्छी बातें

सिर्फ पैरंट्स ही नहीं बल्कि कोई भी बड़ा व्यक्ति अक्सर अपने से छोटे खासतौर पर बच्चों को कुछ न कुछ सिखाते और पढ़ाते नजर आते हैं। पैरंट्स भी अक्सर बच्चों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं का ज्ञान देते नजर आते हैं। पैरंट्स बनते ही हम सब टीचर का रोल बखूबी निभाना सीख जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी बच्चों के व्यवहार पर गौर किया है। थोड़ा समय निकालकर अपने बच्चे के बिहेवियर पर गौर करें तो आपको महसूस होगा कि ऐसी कितनी ही बातें हैं जो बच्चे हम से बेहतर तरीके से करते हैं। इस चिल्ड्रेन्स डे अपने बच्चों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं का ज्ञान देने की बजाए उनसे सीखें 5 अच्छी बातें...
सभी को प्यार करना
बच्चों को भेदभाव करना नहीं आता। खासतौर पर जब बात प्यार की आती है तो बच्चों का प्यार सबसे प्योर होता है क्योंकि वे सभी को एक समान रूप से प्यार करते हैं और उन्हें सिर्फ खुशियां फैलाना आता है। फिर चाहे अपनी उम्र का बच्चा हो, खुद से छोटा बच्चा हो, कोई बुजुर्ग हो, अपने पैरंट्स हों या फिर पड़ोस वाले अंकल... बच्चे सभी को एक समान प्यार करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारे अंदर भेदभाव और खुदगर्जी आ जाती है।
जानवर और पौधों से भी प्यार करना
जब बच्चे किसी कुत्ते या बिल्ली को देखते हैं या फिर चिड़ियाघर में जब किसी जानवर को देखते हैं तो उनके चेहरे पर कैसा रिऐक्शन होता है? क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है? अगर किया है तो आपने देखा होगा कि जानवरों को देखते ही बच्चों की आंखें और उनका चेहरा कैसे खुशी से झूम उठता है। बच्चे सिर्फ इंसान से ही नहीं बल्कि जानवरों से, चिड़ियों से, मछलियों से और यहां तक की पेड़-पौधों से भी उसी तरह से प्यार करते हैं।
सभी को एक समान समझना
बच्चों के लिए दोस्त, दोस्त होते हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका दोस्त अमीर है या गरीब, वह उनके क्लास का है या नहीं क्योंकि बच्चे भेदभाव करना नहीं जानते। वे हर रिश्ते को एक ही नजर से देखते हैं। हमें भी बच्चों से यह क्वॉलटी सीखनी चाहिए और सभी एक समान समझना चाहिए।
जो दिल में हो उसे कह देना
बच्चे अपनी भावनाओं को छिपा नहीं पाते। बच्चे बेहद मासूम होते हैं इसलिए जो उनके मन में होता है वे बोल देते हैं। छोटी-छोटी बातों को बढ़ा चढ़ाकर बताना या बातों को छिपाकर रखना बच्चों को नहीं आता। जो भी बच्चों के दिमाग में चल रहा होता है वह किसी न किसी रूप में बाहर आ ही जाता है। लिहाजा बड़ों को भी छल-कपट और चालबाजी भूलकर बच्चों की तरह साफ दिल का बनना चाहिए।
हर वक्त खुश रहना
बच्चे भले ही किसी बात को लेकर नाराज हो जाएं या कोई बात उन्हें तकलीफ पहुंचा दे लेकिन अगले ही पल वे फिर से उस बात को भूलकर खुश हो जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे अपने मन में कोई बात नहीं रखते और बहुत जल्दी चीजों को भूल जाते हैं। यही वजह है कि बच्चे सिर्फ हर वक्त खुश रहना जानते हैं।