ऐसे रोल जिन्हें न कर पाने की कसक आज भी महसूस करते हैं कबीर बेदी

फिल्म, थिएटर और टीवी के जाने-माने कलाकार कबीर बेदी (kabir bedi) ने हाल ही में अपनी आत्मकथा लिखी है। वह मौजूदा दौर के उन चुनिंदा कलाकारों में से हैं, जो देश की आजादी के पहले पैदा हुए थे। कबीर ने हमसे अपनी किताब, जिंदगी और फिल्म इंडस्ट्री के बारे में बात की :
आपने अपनी आत्मकथा लिखने में इतनी देर क्यों कर दी?
देर आए दुरुस्त आए...(हंसते हुए) देखिए हो सकता था कि ये कहानी मैं कई साल पहले लिख सकता था। लेकिन मुझे लगता है कि इस स्टेज पर आने के बाद जो मुझे समझ आई है, उस नजरिए से मैं स्टोरी को लिखूं, तो ये कहानी पहले से कई ज्यादा बेहतर होगी क्योंकि मैंने इसे एक समझदारी की नजर से लिखा है। जब हम जवान होते हैं उस वक्त एक इमोशन होता है, एक जोश, एक खुशी और एक नाराजगी होती है। मैं अगर जवानी के समय ये लिखता तो ये सब चीजें मुझे प्रभावित कर सकती थीं। मैं बेहतर समझ के साथ ये कहानी लिख रहा हूं।
बॉलिवुड कमाल की इंडस्ट्री है और दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाती है। जिस तरह से बॉलिवुड ने पूरे देश का मन बहलाया है और जितनी खुशी लोगों को दी है, उसकी कोई बराबरी नहीं है। मैं समझता हूं कि बॉलिवुड भारत की एक पहचान बन चुकी है। बॉलिवुड का भारत के इतिहास में एक अहम रोल है। ये मेरी खुशनसीबी थी कि मैं इस इंडस्ट्री में दााखिल हुआ। उन्होंने मुझे एक ऐक्टर बनाया जिसकी वजह से मैं इटली के प्रोजेक्ट के लिए चुना गया जिसकी वजह से मुझे अन्तर्राष्ट्रीय सफलता मिली। तो बॉलिवुड ने मुझे काफी कुछ दिया है। और बॉलिवुड में आकर मैं कमाल के लेजेंड्स से मिला, पर्शियन के साथ बात की। मैं देवानंद साहब को जानता था उनके साथ एक फिल्म की, दिलीप कुमार साहब को जानता था उनके साथ एक फिल्म कर रहा था लेकिन वो बात बनी नहीं। राज कपूर के साथ कई कमाल की शामें गुजारीं। तो इन सबको जानना बेहद खास था क्योंकि ये लेजेंड्स थे।
भारत की फिल्म इंडस्ट्री है जबकि हॉलिवुड ग्लोबल फिल्म इंडस्ट्री है। उनकी पहुंच पूरी दुनिया में है। उनकी फिल्में इंटरनैशनल नजरिए से बनाई जाती हैं। हमारी फिल्में एक ढलते नजरिए से बनाई जाती हैं। हमने डांस और गानों को फिल्में में कैसे जोड़े इसकी एक कला बना ली है, जैसे इटैलियन के लिए ओपरा एक आर्ट फॉर्म है, वैसे ही हमारे लिए गाने और डांस आर्ट फॉर्म है जो कहीं और नहीं दिखता। हॉलिवुड का काम करने का तरीका भी अलग है, वो दो साल की तैयारी करते हैं, फिर दो महीने में फिल्म शूट कर देते हैं। हम तैयारी कम करते हैं और इसलिए फिल्म बनने में ज्यादा वक्त लेते हैं। कभी-कभी हमारे यहां किस्तों में फिल्म बनती है जो हॉलिवुड में कभी नहीं होता। लेकिन हर एक इंडस्ट्री का अपना एक सिस्टम होता है। इटैलियन तैयारी अमेरिका की तरह करते हैं, लेकिन फिल्म को बनाते भारत की तरह हैं क्योंकि अमेरिका की तरह फिल्म बनाना उनके लिए आसान नहीं होता। क्योंकि भारत में आखिरी मिनट में भी अगर डायरेक्टर जरूरी समझे तो उसमें बदलाव हो जाते हैं।
मुझे लगता है कि ऐक्टिंग के लिए सबसे ज्यादा संतुष्टि थिएटर से ही मिलती है जहां कोई आपको रोकता नहीं है। आप शुरू से लेकर आखिर तक बिना रोक-टोक परफॉर्म करते हैं। दर्शकों की नब्ज भी आप अपने हाथ ही में समझिए। दर्शकों का क्या रिस्पॉन्स है, आप उसी वक्त देख पाते हैं। ये संतुष्टि थिएटर की है। लेकिन कम लोग उसे देखते हैं। टीवी पर करोड़ों लोग आपको देखते हैं। टीवी पर आपको तुरंत जो फेम मिलता है वो आपको थिएटर पर मिलना मुश्किल है। फिल्में कम बनती हैं, ऐसे में जो फिल्म आपकी सबसे अच्छी होती है वह लोगों दिल में आपकी पहचान बना देती हैं और आप उस फिल्म के साथ अमर बन जाते हैं।
मुझे बेहद खुशी हुई है और मेरे लिए ये बहुत गर्व की बात है अलाया ने फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड जीता। और मुझे उस पुरस्कार को प्रेजेंट करने का मौका मिला। वो एक खास लम्हा है मेरी जिंदगी में कि मैं अपनी ग्रैंडडॉटर को ये पुरस्कार दे सका। ये बॉलिवुड में तीन जनरेशन की बात है। रही फिल्म इंडस्ट्री की बात तो अब फिल्म बनाने का तरीका, तकनीक, ऐक्टर्स-डायरेक्टर्स को क्या कुछ नहीं करना पड़ता। सफलता के लिए हीरो-हिरोइन को तमाम तरह की काबिलियत चाहिए हैं आज के दौर में। लेकिन फिल्मों को लेकर जो हमेशा एक जैसा रहेगा वो है अच्छी कहानी, जो कभी भी नहीं बदलेगा। अच्छी स्टोरी की खोज इस फिल्म इंडस्ट्री को हमेशा रहेगी।
मैंने बॉलिवुड और हॉलिवुड में तमाम तरह के रोल किए हैं, हालांकि अभी कई ऐसे रोल हैं जो करने बाकी हैं। जैसे कि मैंने अभी तक साइंस फिक्शन नहीं किया है, मैं इस तरह के रोल करना चाहता हूं। और भी कई किस्म के रोल करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में ये रोल्स भी मेरे सामने पेश होंगे और मैं करूंगा। क्योंकि मेरा करियर अब भी चल रहा है, लोग मुझे जानते हैं। अगर जरूरत पड़ी तो मेरे पास आएंगे। जैसे कि ओटीटी के लिए मुझे कई ऑफर मिले हैं, लेकिन मुझे ऐसा प्रोजेक्ट नहीं मिला है जिसे देखकर मुझे लगे कि हां ये मैं करना चाहता हूं। तो बस अब मुझे ऐसे रोल का इंतजार है जो ओटीटी स्पेस में मेरी पहचान बनाए।