कानून की कमियों का जमकर फायदा उठा रहे हैं नहर विभाग के अधिकारी

कानून की कमियों का जमकर फायदा उठा रहे हैं नहर विभाग के अधिकारी

नरसिहपुर
रानी अवन्ती नहर परियोजना विभाग में आरटीआई के तहत सूचना प्रदान न किये जाने सम्बन्धी नियम कायदों का हवाला विभाग द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के तहत जबाब के तौर पर आरटीआई कार्यकर्ता को दी गई है। सूचना का अधिकार के तहत चाही गई जानकारी देने के बदले गाइडलाइन का टका सा जवाव तो अधिाकरी दे देते हैं पर क्या भ्रष्टाचार करते समय भी इन्हे गाइडलाइन का ध्यान रहता है? यदि ध्यान रहता तो सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेने की ही जरूरत नही पड़ती।

मामला रानी अबंती वाई लोधी सागर नहर संभाग क्रमांक1 करेली जिला नरसिंहपुर का है। जिसमें आरटीआई कार्यकर्ता भागीरथ तिवारी द्वारा अपनी फील्ड भ्रमण के दौरान ग्राम अंडिया डुगरिया ग्राम के पास देखा था कि भीष्ण गर्मी में दुपहरी में भारी तपन भरी धूप में खेतों में खड़ी फसलें सूखने की कगार पर पहुंच गई थी लेकिन उनको पानी नही मिल पा रहा था क्योंकि खेत में पानी के लिए कोई स्रोत  उपलब्ध नही था। जबकि वर्षों पूर्व में डुंगरिया उप माइनर नहर सूख रही फसलों वाले खेतों की मेंढ के बगल से ही निकली है।

इस पर ग्राम वासियों ने बताया था कि हमारे खेतों से इस डुंगरिया उप माइनर नहर के किनारे से बने हुए वर्षों बीत गए हैं लेकिन पानी एक भी बार नही आ पाया है। जिससे कि इतनी भीषण गर्मी में हम अपनी फसलों की सिंचाई कर सके। हम सिंचाई के लिए दूसरे किसान पड़ोसी के खेतों ने ट्यूबवेल्ट पर निर्भर रहते हैं। लेकिन यदि पड़ोसी किसान का रकवा ही सिंचाई के लिए ज्यादा हो तो वह अपनी ही ंिसचाई बमुश्किल कर पाता तो फिर हमे पानी के लिए कोई सहारा नही बचता है जबकि इस नहर की आशा लगाए बैठे रहते हैं लेकिन इसमें अभी पानी तो नही आ पाया है और यह नहर कई जगह से टूटने लगी है। शुरू हुए विना ही जर्जर हालात में पहुंच गई।

अत: इस संबंध में नहर के निर्माण लागत राशि एवं अधूूरी पड़ी नहरों के रिकार्ड की प्रमाणित प्रति की मांग की गई जिसके वदले में उक्त नहर विभाग के कार्यपालन यंत्री द्वारा प्रमाणित प्रतियों की जगह एक जवावी पत्र भेजा गया जिसमें आरटीआई के तहत सूचना न देने का हवाला देते हुए बताया गया है कि आपके आवेदन दिनांक 16.06.2020 के सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) के तहत चाही गई जानकारी के संबंध आरटीआई कार्यकर्ता को भेजे पत्र में लिखा गया है कि भारत सरकार की कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग नई दिल्ली द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 द्वारा दिनांक 10 जुलाई 2008 एवं दिनांक 5 अक्टूबर 2009 को जारी दिशा निदेर्शों के तहत लोग सूचा अधिकारी आवेदक को सामग्री उसी रूप में प्रदान करे जिस रूप में वह लोक प्राधिकरण के पास उपलब्ध है न कि दस्तावेजों में से खोजकर। आपके आवेदन पत्र दिनांक 17.06.2020 द्वारा चाही गई जानकारी भारत सरकार कार्मिक ओर प्रशिक्षण विभाग नई दिल्ली द्वारा दिशा-निदेर्षों के अनुरूप न होने के फलस्वरूप प्रदान किया जाना संभव नही। अत: आपके आवेदन पत्र को अमान्य किया जाता है।

उक्त पत्र में नियम-कायदों का हवाला देते हुए जानकारी देने से सीधा इंकार विभाग द्वारा किया गया है। जबकि वास्तविकता यह है कि इस नहर के बनाने में भारी अनियमितताऐं की गईं हैं जिससे नहर में पानी आने के पूर्व में नहर कई जगहों से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं जिससे पानी अनावष्यक रूप से नहर को तोड़ते हुए मैंदान, रास्ता या फिर किसानों की फसलों में आवष्यकता से अधिक भारी मात्रा में अनावष्यक रूप से वहकर बेकार हो जाता हैं और जिन किसानों के खेतों में पानी की जरूरत होती है वहां पर पानी नही पहुंच पाता है।

जिससे साफ है कि नहर बनाने में भारी अनियमितता की गई है गुणवत्ता विहीन नहर बनने से आये दिन क्षतिग्रस्त होती रहती है। ओर इस संबंध में  जानकारी देने के लिए जवावदार अधिकारी नियम कायदों का हवाला देते हुए भ्रष्टाचार को दबा रहे है। और जानकारी सार्वजनिक नही करने देने की शासन की कमजोरी को नहर को अधिकारी अपने भ्रष्टाचार की ढाल बनाऐ हुए है। जबकि गुणवत्ता विहीन नहरों के निर्माण के लिए ये शासन के किसी भी नियम कायदों का पालन नही करते हैं।