केंद्र सरकार ने बिजली कंपनियों की रेटिंग की जारी, बिजली कंपनियों का पुअर रिपोर्ट कार्ड
भोपाल
मध्य प्रदेश में बिजली सेवाओं को बेहतर बनाने का जिम्मा संभालने वाली कंपनियों का परफॉर्मेंस पुअर निकला. केंद्र की ताजा रिपोर्ट ने सरकार की बिजली प्रबंधन सेवा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एमपी में हर घर को रौशन करने और खेतों तक सिंचाई के लिए भरपूर बिजली देने के दावों के बीच बिजली कंपनियों के कामकाज की हकीकत केंद्र ने खोल दी है.
केंद्र सरकार ने बिजली कंपनियों की जो रेटिंग जारी की है उसके मुताबिक प्रदेश की बिजली कंपनियों की हालत चिंताजनक है. रेटिंग में पूर्व क्षेत्र कंपनी 32वें और मध्य क्षेत्र वितरण कंपनी को 36 वें स्थान पर है. हालांकि ताजा रेटिंग में पश्चिम क्षेत्र कंपनी के कामकाज पर संतोष जताया गया है.
प्रदेश में बिजली सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए तीन बिजली कंपनियां बनायी गयी थीं. पश्चिम,पूर्व और मध्यक्षेत्र. इनके परफॉर्मेंस पर नज़र डालें तो पता चलता है कि पूर्व क्षेत्र बिजली कंपनी का एक साल का एटीएंडी लॉस 24 से बढ़कर 27 फीसदी और कलेक्शन 98 फीसदी से घटकर 93 प्रतिशत हो गया.मीटर लगाने की व्यवस्था में कोई इज़ाफा नहीं किया गया. मध्यक्षेत्र बिजली कंपनी
एटीएंडटी लॉस 35 से बढ़कर 36 फीसदी और कलेक्शन 87 से घटकर 86 फीसदी हो गया. बस पश्चिम क्षेत्र कंपनी के परफॉर्मेंस में मामूली सुधार हुआ है. इसका एटीएंडटी लॉस 27 से घटकर 21 फीसदी और कलेक्शन में भी दो फीसदी का इज़ाफा हुआ है.
बिजली वितरण में तकनीकी नुक़सान रोकने के लिए सरकार ने पांच साल में करोड़ों रुपए खर्च किए. बिजली कंपनियों ने फीडर सेपरेशन से लेकर नये ट्रांसफार्मर और कंडक्टर खरीदे. सरकार ने 2018 तक सभी बिजली कंपनियों में होने वाले एटीएंडटी लॉस को कम कर 15 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन नतीजा सिफर ही है.