Oxygen के बाद एक और संकट, तो और बढ़ेगी परेशानी

नई दिल्ली। देश में कोरोना संकट के बीच एक नया संकट दस्तक दे सकता। दरअसल, देश में 46,720 मेगावॉट की सामूहिक क्षमता के 38 बिजली संयंत्रों के पास एक हफ्ते से भी कम का कोयला भंडार बचा था। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के कोयले के दैनिक भंडार के आंकड़ों की माने तो यही स्थिति रही तो जल्द ही देश भर में अंधेरा छा सकता है। प्राधिकरण की 22 अप्रैल 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 1,66,406 मेगावॉट की सामूहिक क्षमता के 135 बिजली संयंत्रों में से किसी के पास कोयला भंडार की स्थिति गंभीर या अति गंभीर नहीं थी। गौरतलब है कि यदि किसी संयंत्र के पास सात दिन से कम कोयला भंडार शेष रहता है तो यह गंभीर स्थिति मानी जाती है। वहीं, तीन दिन से कम का कोयला भंडार अति गंभीर स्थिति होती है। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण रोजाना के आधार पर इन संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति की निगरानी करता है। मालूम हो कि देश में 31 मार्च, 2021 तक कुल स्थापित बिजली क्षमता 377 गीगावॉट की थी। इसमें 200 गीगावॉट कोयला आधारित, 48 मेगावॉट पन बिजली और 93 गीगावॉट अक्षय (सौर या पवन) ऊर्जा क्षमता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सौर या पन बिजली स्रोतों से गर्मियों में उत्पादन बढ़ेगा, लेकिन कोयला आधारित संयंत्र मुख्य लोड उठाते हैं, जो ग्रिड की स्थिरता और गर्मियों के सीजन की ऊंची मांग को पूरा करने के लिए जरूरी है। ऐसे में यदि कोयला सप्लाई प्रभावित होती है तो देशभर में अंधेरा छा सकता है।