क्रोध, लालच, मोह का त्याग करना सिखाता है प्रयूषण

जैन धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है प्रयूषण। श्वेतांबर जैन इस पर्व को पूरे हर्ष और उत्साह के साथ मनाते हैं। अलग-अलग नियमों के साथ इन दिनों में व्रत-विधान किया जाता है। वहीं दूसरी ओर, दिगंबर समुदाय के जैन 10 दिनों तक व्रत रखते हैं। प्रयूषण पर्व को जैन समुदाय में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे पर्वाधिराज भी कहा जाता है। भाद्र महीने में ये त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान जैन धर्म के अनुयायी अहिंसा, सत्य, अति (चोरी), ब्रह्मचर्य और अतिरिक्त पैसे जमा ना करने जैसे पांच नियमों का पालन करते हैं।
इस पावन अवसर पर मन से सभी दोषों को दूर किया जाता है। प्रयूषण पर्व में आपको अपने मन से सभी ईर्ष्या और बुरे विचारों का नाश करना है। इन सभी बुरी चीजों से मुक्ति पाने के लिए ही जैन धर्म के लोग इस त्योहार को मनाते हैं। इस दौरान वे क्रोध, लालच, मोह और ईर्ष्या का त्याग करते हैं।
ये त्योहार भाद्रपद महीने के पंचम दिन को आरंभ होता है यानी की भादो पर। इस दिन अनंत चतुर्दशी होती है। इस दिन को मनाने के लिए भगवान महावीर द्वारा बनाए गए 10 नियमों का पालन किया जाता है।
वर्षा ऋतु में मनाए जाने वाले इस त्योहार से जैनियों की विचारधारा का पता चलता है। इस त्योहार का मूल आधार चातुर्मास का प्रवास है। इन दिनों धरती वर्षा के कारण हरी-भरी हो जाती है। जैन मुनि इन महीनों में एक जगह बैठकर भागवत पूजा करते हैं।
श्वेतांबर पंथ के अनुसार ये त्योहार 27 अगस्त, 2019 से शुरु होकर 3 सितंबर, 2019 यानी मंगलवार तक चलेगा जबकि दिगंबर संप्रदाय के अनुसार ये त्योहार 3 सितंबर से 12 सितंबर तक रहेगा। पारंपरिक जैन पंचांग के अनुसार ही इस त्योहार की तिथियां निर्धारित की जाती हैं। ये एक चंद्र-सौर कैलेंडर है और त्योहार की तिथियां भिन्न हो सकती हैं।
प्रयूषण त्योहार पर निम्न कार्य किए जाते हैं:
प्रयूषण त्योहार के दौरान सभी भक्त ग्रंथों का पाठ करते हैं और इसके बारे में प्रवचन सुनते हैं।
इस दौरान कई अनुयायी व्रत भी रखते हैं और दान-पुण्य भी करते हैं।
मंदिरों और धार्मिक स्थलों की विशेष तौर पर सफाई की जाती है और उन्हें सजाया जाता है।
त्योहार के दौरान रथ यात्रा या शोभा यात्रा निकाली जाती है।
मंदिरों, संग्रहालयों या सार्वजनिक स्थलों पर कम्युनिटी बैंक्वेट बनाए जाते हैं।