खुशफहमी में रही सरकार, कोरोना हुआ खतरे के पार 

खुशफहमी में रही सरकार, कोरोना हुआ खतरे के पार 

नई दिल्ली
दुनिया में कोरोना की सबसे भयावह स्थिति अभी भारत में है। मार्च 2021 में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था कि भारत में कोविड-19 महामारी खात्मे की ओर बढ़ रही है। लेकिन एक महीने में ही ऐसी क्या बात हो गयी कि करोना महाकाल बन कर देश पर टूट पड़ा? 13 फरवरी 2021 को एक दिन में करीब 9 हजार ही नये कोरोना मरीज पाये गये थे। फरवरी में तीसरी बार रोजाना संक्रमितों की संख्या दस हजार से नीचे गिरी थी। मौत का आंकड़ा सौ से नीचे पहुंच गया था। लेकिन मार्च महीने में होली के बाद कोरोना का ऐसा विस्फोट हुआ कि अब एक दिन में संक्रमण की संख्या साढ़े तीन लाख से ऊपर पहुंच गयी है। मौत का रोजाना आंकड़ा भी दो हजार आठ सौ के पार चला गया है।

 इतनी भयावह स्थिति क्यों हुई ? क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अतिआत्मविश्वास की कीमत चुकानी पड़ी ? क्या अफसरों ने जमीनी हकीकत नहीं बतायी जिससे गफलत में डूबी सरकार कोरोना खत्म होने का जश्न मनाने लगी ? क्या केन्द्र सरकार को कोरोना की वास्तविक स्थिति का अंदाजा नहीं था कि वह चार पांच महीने पहले दूसरे देशों को वैक्सीन बांट विदेशनीति चमका रही थी ? या फिर राजनीति गुणा-भाग के खेल में कोरोना नियंत्रण की बागडोर हाथ से फिसल गयी ?