गंगा सफाई में बिहार फिसड्डी; यूपी, झारखंड समेत अन्य राज्यों का काम भी संतोषजनक नहीं: एनजीटी रिपोर्ट

गंगा सफाई में बिहार फिसड्डी; यूपी, झारखंड समेत अन्य राज्यों का काम भी संतोषजनक नहीं: एनजीटी रिपोर्ट

 नई दिल्ली
 
आदेशों के बावजूद गंगा नदी की सफाई में बिहार फिसड्डी साबित हो रहा है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए बिहार में एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने का कार्य पूरा नहीं हुआ है। जबकि यहां पर 28 एसटीपी लगाए जाने हैं। इसका खुलासा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की ओर से पेश रिपोर्ट में किया गया है। हालांकि उत्तर प्रदेश 23 में से 10 एसटीपी का काम पूरा कर लिया है। देश में कुल 75 एसटीपी लगाए जाने हैं। 

एनजीटी के प्रमुख जस्टिस एके गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने इस पर नाराजगी जाहिर की। रिपोर्ट देखने के बाद पीठ ने कहा कि गंगा सफाई पर बिहार की स्थिति को बेहद चिंताजनक बताते हुए वहां की सरकार को आड़े हाथ लिया। इतना ही नहीं, ट्रिब्यूनल ने कहा है कि गंगा सफाई पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कामकाज संतोषजनक नहीं है। पीठ ने कहा है कि 2017 में आदेश पारित करने से 34 साल पहले ही, सुप्रीम कोर्ट ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का आदेश दिया था। लेकिन दशकों बीत जाने के बाद सरकार व संबंधित महकमों ने इस पर ध्यान नहीं दिया

पीठ ने कहा कहा है कि गंगा पवित्र नदी होने के साथ-साथ राष्ट्रीय नदी भी है, ऐसे में इस नदी में एक बूंद प्रदूषण को भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। पीठ ने इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी। पीठ ने इसे गंभीरता से लेते हुए बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिवों को अपने-अपने राज्यों में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए लगाई एसटीपी लगाने की परियोजना की खुद निगरानी करने और काम के प्रगति के बारे में हलफनामा दाखिल करने का निर्दश दिया है। 

एनएमसीजी को मिशन मोड में रहने का आदेश
ट्रिब्यूनल ने गंगा सफाई पर समुचित काम नहीं होने पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को भी आड़े हाथ लिया। पीठ ने कहा कि 2017 में आदेश पारित करने के बाद कुछ कदम उठाए गए, लेकिन इस काम को पूरा करने के लिए दो से तीन साल का वक्त बढ़ाए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। पीठ ने एनएमसीजी को मिशन मोड में रहने और गंगा नदी की सफाई के लिए समुचित कदम उठाने का आदेश दिया। पीठ ने कहा है कि जब तक गंगा नदी प्रदूषण मुक्त नहीं होगी तब तक यही माना जाएगा कि एनएमसीजी अपने जिम्मेदारी का पालन नहीं कर रही है।

2017 में 4 चरणों में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का दिया था आदेश
पहले चरण में- 
सेगमेंट-ए- गौमुख से हरिद्वार
सेगमेंट-बी- हरिद्वारा से कानपुर
दूसरे चरण- कानपुर से उत्तर प्रदेश की सीमा तक 
तीसरा चरण- उत्तर प्रदेश की सीमा से झारखंड सीमा तक
चौथा चरण- झारखंड सीमा से पश्चिम बंगाल तक।

औद्योगिक कचरा नदी में बहाना अपराध: 
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि नदी में दूषित पानी बहाना, खासकर वाणिज्यिक लाभ के लिए ऐसा करना गंभीर अपराध है। पीठ ने कहा है कि किसी को भी इस तरह के अपराध करने की छूट नहीं दी जा सकती। ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश सरकार को उन औद्योगिक इकाइयों के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी की है जो गंगा में दूषित पानी बहा रहे हैं। ट्रिब्यूनल ने यह तब दिया जब उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण समिति ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। पीठ ने इसे गंभीरता से लेते हूए गंगा को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ती रकम वसूलने का आदेश दिया है। साथ ही नदी किनारे व्याप्त अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया है।

तीन राज्यों पर 25-25 लाख रुपये जुर्माना
ट्रिब्यूनल ने बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल पर आदेशों को गंभीरता से नहीं लेने और गंगा सफाई के लिए समुचित कार्य नहीं करने पर 25-25 लाख रुपये जुर्माना किया है। यह अंतरिम जुर्माना समय से काम नहीं करने की वजह से गंगा नदी को हो रहे नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए किया है। जुर्माने की रकम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराने का आदेश दिया है। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस रकम से गंगा नदी के नुकसान की भरपाई पर खर्च करने का निर्देश दिया है।