छत्तीसगढ़ में OBC को 27, SC को मिलेगा 13% आरक्षण, जानिए- अब सामान्य वर्ग के लिए क्या बचा?

छत्तीसगढ़ में OBC को 27, SC को मिलेगा 13% आरक्षण, जानिए- अब सामान्य वर्ग के लिए क्या बचा?

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को भूपेश सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में बड़ा तोहफा दिया. प्रदेश में ओबीसी वर्ग को पहले 14 ​फीसदी आरक्षण मिलता था, जिसे 13 फीसदी बढ़ा दिया गया है. यानी कि अब छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. अनुसूचित जाति वर्ग को आरक्षण 12 से बढ़ाकर 13 फीसदी करने का ऐलान पहले से ही किया जा चुका है. साफ है कि आरक्षण की सीमा को प्रदेश में 14 फीसदी बढ़ा दिया गय है.

छत्तीसगढ़ में ओबीसी और एससी वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ने के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि सामान्य वर्ग पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका जवाब जानेंगे, साथ ही जानेंगे कि इस नई व्यवस्था पर विपक्ष के नेताओं ने क्या कहा है, लेकिन इससे पहले जानते हैं कि आरक्षण बढ़ाने के पीछे भूपेश सरकार का तर्क क्या है?

 

भूपेश सरकार का तर्क
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. यहीं सीएम भूपेश बघेल ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का ऐलान किया. सीएम भूपेश बघेल ने कहा- 'मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी है कि हमारे प्रदेश का अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग तबका काफी शांतिप्रिय ढंग से अपने अधिकारों की बात करता रहा है. उनके संविधान सम्मत अधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है. इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए आज मैं यह घोषणा करता हूं कि अब प्रदेश निवासी अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाएगा.


सीएम भूपेश बघेल के इस ऐलान के बाद अब इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि प्रदेश में कुल प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. बता दें कि नई व्यवस्था के बाद अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. यानी अगर तीनों वर्गों को मिला दें तो कुल 72 ​फीसदी आरक्षण तो तय ही है. सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था केन्द्र सरकार ने कर दी है. हालांकि वर्तमान में ये व्यवस्था छत्तीसगढ़ सरकार में लागू नहीं है. इसके अलावा नौकरियों में पूर्व सैनिक, दिव्यांग और गैर आरक्षित महिला वर्ग के लिए आरक्षण तय होता है. हालांकि इसका प्रतिशत भी तय नहीं है.​


सामान्य वर्ग के लिए क्या बचा?
एक अनुमान के मुताबिक यदि आरक्षण की सभी व्यवस्थाओं को प्रदेश में लागू कर दिया गया तो ये करीब 85 फीसदी पहुंच जाएगा. फिलहाल सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था प्रदेश में लागू नहीं ​है. प्रदेश में मौजूदा आरक्षण नीति के अनुसार आरक्षण के सभी मानकों को पूरा करने के बाद जो प्रतिशत (नई व्यवस्था के बाद करीब 25 प्रतिशत) बचेगा वे गैर आरक्षित वर्ग के लिए होगा, लेकिन इसमें भी यदि आरक्षित वर्ग के आवेदक का रैंक गैर आरक्षित वर्ग के आवेदक से अधिक है तो उसकी नियुक्ति गैर आरक्षित वर्ग के लिए बचे कोटे में ही की जाएगी. हालांकि इस नई व्यवस्था के लिए प्रदेश में जातिगत आधारित जनसंख्या को आधार बनाया गया है. यानी प्रदेश में जिस वर्ग की जितनी जनसंख्या है, उतना आरक्षण उसे दिया जाएगा.

 

क्या कहता है विपक्ष
सूबे में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने को लेकर पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने कहा- 'आरक्षण बढ़ाया है, लेकिन सही तरीके से उसका क्रियान्वयन हो तभी उसका लाभ है.' पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के सुप्रीमो अजीत जोगी एक ट्वीट कर लिखा- '3 अगस्त 2019 को हमने प्रदेश के मेहनतकश पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग करी थी. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद कि उन्होंने बढ़ी उदारता दिखाते हुए मांग को पूरा करने की घोषणा करी.'

 

गुमराह करने वाला आरक्षण
बीजेपी के वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- 'ये आरक्षण छत्तीसगढ़ की जनता को गुमराह करने वाला है. जो आरक्षण पहले से तय है, वो लोगों को नहीं मिल पा रहा है. सरकार ने नौकरियों पर पाबंदी लगा रखी है. ऐसे में आरक्षण का प्रतिशत बढ़ा कर भी क्या लाभ होगा. नौकरियों पर लगी पाबंदी सरकार को हटानी चाहिए.'