जल्द अधिसूचित होंगे 21 बायोफोर्टिफाइड बीज

नई दिल्ली
उच्च प्रोटीन वाले क्विनोआ से लेकर सोयाबीन बीजों तक केंद्र की 21 बायोफोर्टिफाइड बीजों की सूची में शामिल हैं जिन्हें अगले कुछ महीनों में अधिसूचित किया जाएगा। इनकी फली को इंसानं खाते हैं, जबकि तेल सुपाच्य नहीं होता है। अगले दो से तीन वर्षों में ये बीच किसानों तक पहुंचने की उम्मीद है। कोविड-19 राहत पैकेज के हिस्से के तौर पर घोषित नई किस्मों को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि शोध का शुरूआती जोर ऊंचे फसलों की किस्मों को विकसित करने पर था जबकि पोषण, मौसम को झेलने की क्षमता और अन्य गुणों पर ध्यान नहीं दिया गया था। बकव्हीट और विंग्ड बींस भी इस सूची का हिस्सा हैं। इन फसलों का देश में बहुत कम उपयोग हुआ है लेकिन वृद्घि की इनमें बड़ी संभावना है। साथ ही सूची में जिंक की अधिकता वाला बाजरा भी है जिससे प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
देश के बीज कार्यक्रमों को देखने और चलाने वाली नोडल संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने पिछले 5 से 6 वर्षों में विभिन्न फसलों की 71 बायोफोर्टिफाइड बीज किस्में जारी की है जिनमें चावल, गेहूं, मक्का, बाजरा, रागी, अलसी, सरसों शामिल हैं। इनके अलावा इस सूची में फूलगोभी, आलू और शकरकंद जैसी सब्जियां भी शामिल हैं। इनमें से करीब 29 बायोफोर्टिफाइड बीज किस्में पहले ही बीज शृंखला में प्रवेश कर चुकी हैं और आगामी खरीफ सीजन और उसके बाद आने वाली रबी सीजन में बड़े पैमाने पर इनकी खेती की जाएगी। आईसीएआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, इन 29 बीज किस्मों में लगभग सभी चिह्नित बायोफोर्टिफाइड सब्जियां और गेहूं सहित कई प्रकार के अनाज और दालें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आठ बड़े फसलों में 17 बायोफोर्टिफाइड बीजों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष विश्व खाद्य दिवस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र को समर्पित किया था। ये 17 बीज 71 चिह्नित बीजों की इस मूल सूची का हिस्सा थे। अब तक आईसीएआर ने राष्ट्रीय बीज निगम और राज्य बीज निगम जैसी सरकारी शोध एजेंसियों के साथ साथ 200 से अधिक निजी बीज कंपनियों को विभिन्न फसलों में 11,000 क्विंटल बायोफोर्टिफाइड बीज मुहैया कराए हैं।
निजी कंपनियां इस बायोफोर्टिफाइड गेहूं के बीजों के एक बड़े हिस्से का इस्तेमाल वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में करीब 40 लाख हेक्टेयर के गेहूं को बायोफोर्टिफाइड बीजों के तहत लाया गया है जबकि बायोफोर्टिफाइड सरसों और बाजरा को 1.5 लाख हेक्टेयर में उगाया गया है। अधिकारी ने स्पष्ट किया, सबसे बड़ी समस्या मंडी स्तर पर सुराग लगाने की क्षमता का है क्योंकि मंडी में यह नहीं पता होता कि कौन सा गेहूं बायोफोर्टिफाइड बीज का है और कौन सा नहीं। लेकिन आईसीएआर और अन्य एजेंसियां इसमें सुधार करने पर काम कर रही हैं।