ट्रैफिक नियम में सख्ती से पहले जागरूकता जरूरी

ट्रैफिक नियम में सख्ती से पहले जागरूकता जरूरी

पटना                                                                                                                                 
सरकार पहले जागरूकता लाती। उसके बाद ट्रैफिक का नया कानून लागू करती तो ठीक होता। अभी जुर्माना भी व्यवहारिक नहीं हैं और लोगों को नियम की जानकारी भी नहीं है। सरकार को पहले अपना सिस्टम भी सुधारना जरूरी है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान के बुद्धमार्ग स्थित कार्यालय में आयोजित संवाद में शहर के गणमान्य लोगों ने ये सुझाव दिए। 

केंद्र सरकार के द्वारा लाये गये मोटर यान (संशोधन) विधेयक, 2019 पर देशव्यापी चर्चा के बीच आयोजित संवाद में वक्ताओं ने ट्रैफिक नियमों में सख्ती का सभी ने स्वागत किया। हालांकि जुर्माना, पुलिसिया सख्ती और आनन-फानन में लागू किए कानून पर लोगों ने सवाल उठाए। एकबारगी भारी जुर्माना लगाने को लोगों ने दंडात्मक बताया तो दूसरी ओर भारी राशि से सरकार द्वारा खजाना भरने की जुगत बताई गई। लोक कल्याणकारी राज्य में नागरिक के कल्याण के लिए बनाये जाने वाले कानून में सख्ती पर लोगों ने सवाल उठाये। 

वहीं, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से लेकर प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया में लोगों ने सुधार करने की मांग उठाई। सभी क्षेत्रों के लोगों ने व्यवहारिक सोच के साथ कानून लागू करने से पहले जागरूकता फैलाने की बात कही। संवाद में विभिन्न ऑटो संगठन, ट्रैफिक एक्सपर्ट, शिक्षाविद्, महिला संगठन, शिक्षा क्षेत्र, व्यापारी समेत अन्य क्षेत्र के लोगों ने शिरकत की। 

ट्रैफिक कंट्रोल लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। अभी कानून के भय से लोग हेलमेट व सील्ट बेल्ट भले पहन रहे हों, लेकिन यह हमेशा होना चाहिए। गुंडे बदमाश को कानून का डर नहीं। उनके नियम तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस सक्षम नहीं है कि उनको पकड़ लें। पुलिस अधिकारियों व बड़े नेताओं को फाइन करने से डरती है। सरकार पहले अपना सिस्टम सुधारे। शहर की आधी से अधिक ट्रैफिक लाइट बुझी रहती है। मानकों के अनुसार सड़क नहीं बन रहे। स्पीड ब्रेकर व्हीकल ब्रेकर हो गये हैं। अतिक्रमण का भी स्थायी समाधान हो तथा गाड़ियों की संख्या एक हद तक बढ़ने से रोकी जाने की जरूरत है। 
- प्रो. संतोष कुमार, शिक्षाविद् व पूर्व प्रो. बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियिरंग