डिलिवरी के बाद सेक्स के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

नॉर्मल डिलिवरी के बाद ज्यादातर महिलाओं में सेक्स को लेकर अरुचि आ जाती है। हालांकि, ऐसा उनके पार्टनर के प्रति अट्रैक्शन कम होने या प्यार कम होने के कारण नहीं बल्कि दवाइयों, बॉडी में आए बदलावों और बच्चे के कारण होता है। ऐसे में नॉर्मल डिलिवरी के बाद सेक्स के दौरान मेल पार्टनर को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
आमतौर पर ज्यादातर कपल बच्चे के जन्म के करीब एक महीने बाद सेक्शुअल ऐक्टिवटी शुरू कर देते हैं। वहीं कुछ कपल्स की सेक्स लाइफ नॉर्मल होने में तीन से चार महीने तक लग जाते हैं। महिलाओं में सेक्स की इच्छा कम होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह उनके वजाइना का दर्द होता है। डिलिवरी के दौरान वजाइना को बड़ा करने के लिए उसमें कट लगाया जाता है और बाद में उसे स्टिच किया जाता है। ऐसे में उसके पूरी तरह से ठीक होने तक दर्द बना रहता है।
स्टिच गलने और वजाइना के पूरी तरह हील होने के बाद फर्स्ट टाइम सेक्स में ज्यादातर महिलाएं बहुत ज्यादा दर्द होने की शिकायत करती हैं। इस स्थिति में मेल पार्टनर उन पर प्रेशर न डालें और उनके कंफर्ट के अनुसार डिसाइड करें कि आप दोनों सेक्स को जारी रखना चाहते हैं या नहीं। अगर फीमेल पार्टनर इसके लिए मना करती है तो उसकी इच्छा का सम्मान करें। यह ध्यान रहे कि यह सिर्फ एक छोटा सा फेज होता है जिससे महिलाएं उबर जाती हैं और सेक्स लाइफ नॉर्मल हो जाती है।
सेक्स के दौरान महिलाएं भले ही तैयार हों लेकिन उनका वजाइना लूब्रिकेंट न हो तो इसकी जिम्मेदार दवाइयां हैं। दवाइयों के कारण उन्हें जलन की समस्या भी हो सकती है। ऐसे में रफ सेक्स से बचें।
फीमेल पार्टनर को कम से कम दर्द हो इसके लिए लिक्विड लूब्रिकेंट का इस्तेमाल करें। सेक्स के दौरान उनसे दर्द के बारे में पूछते रहें और अगर उनसे दर्द सहन न हो तो कभी और सेक्स के लिए ट्राई करें।