...तो इसलिए तापसी ने किया 'जुड़वा 2' में काम!

'बेबी', 'पिंक', 'नाम शबाना' और 'जुड़वा' जैसी फिल्मों में अपने काम से बॉलिवुड में अपनी जगह बनाने वाली तापसी पन्नू इन दिनों हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह की बायॉपिक में एक छोटी, लेकिन अहम भूमिका निभा रही हैं। फिल्म के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान तापसी ने कहा कि वह जानती थीं कि वरुण धवन स्टारर फिल्म 'जुड़वा' में उनके लिए कोई खास काम नहीं है, लेकिन ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए 'जुड़वा' जैसी फिल्मों का हिस्सा बनना उनकी स्ट्रैटिजी थी।


तापसी कहती हैं कि 'पिंक' और 'बेबी' से सराहना तो खूब मिली, लेकिन बॉलिवुड में अपनी जगह बनाए रखने के लिए 100 करोड़ के क्लब वाली फिल्मों का हिस्सा होना भी जरूरी है। इससे आगे का काम भी मिलता रहता है और एक बड़े दर्शक वर्ग में पहचाना भी बनती है।

मेरे लिए स्क्रीन टाइम या टाइटल रोल मायने नहीं रखता

'सूरमा' में काम करने की वजह क्या थी, जबकि फिल्म की कहानी मुख्य किरदार पर आधारित थी? जवाब में तापसी बताती हैं, 'सूरमा जैसी फिल्म, जिसकी कहानी मुख्य किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है, पूरा फोकस मेन कैरक्टर पर होता है, ऐसी फिल्म का चुनाव मैंने इसलिए किया, क्योंकि इसकी कहानी सुनकर मुझे लगा कि यह फिल्म जरूर सफल होगी। इसके बाद मैंने देखा कि क्या मेरे किरदार की मजबूती और स्क्रीन स्पेस इतना होगा, जिससे दर्शक फिल्म खत्म होने के बाद मुझे याद रख पाएंगे? तो जवाब मिला हां। इसी आधार पर मैं किसी फिल्म के लिए हां या न कहती हूं।'

तापसी आगे कहती हैं, 'मेरे लिए यह मायने नहीं रखता कि फिल्म में मेरा ज्यादा स्क्रीन टाइम हो और टाइटल रोल हो। किसी फिल्म के चुनाव में कहानी सुनने के बाद खुद से सवाल करती हूं कि क्या मैं फिल्म खत्म होने के बाद दर्शकों के दिल-दिमाग में कोई जगह बना पाऊंगी? यदि जवाब हां होता है, तभी उस फिल्म में काम करती हूं। मेरा मानना है कि मुझे अपने दर्शकों के साथ सिर्फ फिल्म देखते समय 2 घंटे नहीं, बल्कि लंबे समय तक रहना है।'

मेरा किरदार किसी खास व्यक्ति-विशेष को रिवील नहीं करता

अपने किरदार के बारे में बताते हुए तापसी कहती हैं, 'फिल्म में जिनका किरदार मैंने निभाया है, मुझे उनसे मिलने का मौका नहीं मिला। मैंने अपनी तैयारी डायरेक्टर से मिली स्क्रिप्ट के आधार पर किया है। मेरा किरदार किसी खास व्यक्ति-विशेष के नाम को प्रकट नहीं कर रहा है, इसलिए मेरे पास एक आजादी थी कि इस किरदार को मैं अपने हिसाब से निभा सकती थी।'

संदीप सिंह की कहानी सुनकर शॉक्ड रह गई थी

हॉकी के प्रति अपने रुझान पर बात करते हुए तापसी ने कहा, 'मेरे पिता हॉकी प्लेयर रहे हैं इस वजह से हॉकी के बारे में बचपन से ही जानकारी रही है। जब टीवी पर हॉकी का खेल दिखाया जाता था तब भी मोठे तौर पर मेरी नजर बनी रहती थी। मैंने कभी भी हॉकी स्टिक कभी नहीं पकड़ा परंतु स्पोर्ट्स के प्रति हमेशा से ही मेरा प्यार रहा है। इस फिल्म को करने से पहले मैं संदीप सिंह की कहानी से वाकिफ भी नहीं थी। जब पहली बार यह कहानी सुनी तो शॉक्ड रह गई थी, मैं कह सकती हूं फिल्म देखने के बाद, ऐसी ही प्रतिक्रिया दर्शकों की होगी।'

हॉकी में सारा खेल बाएं हाथ का है

फिल्म के लिए हॉकी सीखने अनुभव के बारे में तापसी ने कहा, 'हॉकी मेरे लिए ऐसा खेल रहा, जो बचपन से पसंद था, लेकिन भाग्यवश या दुर्भाग्यवश कभी खेल नहीं पाई। इसलिए फिल्म के दौरान हॉकी सीखना और खेलना थोड़ा मुश्किल था। मैंने उतना ही सीखा और खेला जितना फिल्म के लिए जरूरी था। हॉकी सीखने के दौरान मुझे एक बात यह पता चली कि इस खेल के लिए दाहिने हाथ में जितनी ताकत है, उतनी या उससे ज्यादा ताकत और ऐक्टिव होने की जरुरत आपके बाएं हाथ की है। सारा खेल बाएं हाथ का है, दाहिना हाथ ज्यादातर डायरेक्शन चेंज करने के लिए होता है। इसलिए मेरे लिए मुश्किल पार्ट था।'