दिल्ली की सियासत में हुए इन 5 धमाकों से मचा राजनीति में घमासान ​​​​​​​

दिल्ली की सियासत में हुए इन 5 धमाकों से मचा राजनीति में घमासान ​​​​​​​

 
नई दिल्ली

साल का आखिरी महीना अब बस खत्म होने की कगार पर है और अगला महीना यानि जनवरी के साथ नया साल 2019 आने वाला है। इस नए साल का इंतजार लोग नई उम्मीदों के साथ कर रहे हैं। कुछ लोगों के लिए यह साल अच्छा रहा तो कुछ लोगों के लिए यह साल निराश करने वाला था। ऐसा ही कुछ हाल रहा दिल्ली की सियायत का। दिल्ली सरकार के लिए ये साल मिला-जुला रहा। जहां एक ओर सरकार ने दिल्लीवासियों को नई सर्विस से मुहिया करा अपनी उपलब्धियों में एक और अंक बढ़ाया, वहीं कुछ मुद्दों और विवादों के चलते सरकार को मुंह की खानी पड़ी। हम यहां बात करेंगे साल 2018 में हुए दिल्ली की सियासत में उन बड़े धमाकों की जिसकी गूंज से पूरे देश की राजनीति में हलचल मच गई।
 
कुमार विश्वास V/s केजरीवाल
आम आदमा पार्टी और कुमार विश्वास के बीच तनातनी काफी समय से चल रही थी, लेकिन इस आग को हवा तब मिली जब कुमार विश्वास को राजस्थान चुनाव होने से पहले ही राजस्थान प्रभारी के पद से हटा दिया गया। उनकी जगह दीपक बाजपेयी को दे दी गई थी। राज्यसभा सांसद नहीं बनाए जाने पर पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर दिखा चुके विश्वास को राजस्थान प्रभारी पद से हटाने की घोषणा एक सम्मेलन में हुई थी। हालांकि अभी कुमार पार्टी में हैं लेकिन वे केवल पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य रह गए हैं। गौरतलब है कि विश्वास और पार्टी में गर्मा-गर्मी काऱी समय से चल रही थी। राज्यसभा चुनाव के समय भी उन्होंने पार्टी से अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने केजरीवाल के कामकाज के तरीके पर गंभीर सवाल उठाए थे।
 
अपनों की बेरुखी से जूझी AAP
इस साल केजरीवाल सरकार अपनी पार्टी की बेरुखी से जूझती दिखी। पहले केजरीवाल के बेबद करीबी पत्रकारिता छोड़ नेता बने आशुतोष ने  पार्टी का साथ छोड़ दिया था उसके कुछ दिनों बाद खबर आई की पार्टी के एक और अहम सदस्य आशीष खेतान ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया।पत्रकार से नेता बने ये दोनों शख्स पहली बार राजनीति में आए थे। माना जा रहा था कि दोनों नेताओं की अहमहियत पार्टी में कम होती जा रही थी, जिसकी वजह से दोनों ने पार्टी से किनारा कर लिया। आम आदमी पार्टी की सियासत पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना था कि केजरीवाल द्वारा कभी अपने बेहद करीबी रहे आशुतोष और आशीष खेतान को अनदेखा करना ही उनके इस्तीफे का कारण बना।
 
डोर स्टेप डिलीवरी सर्विस
केजरीवाल सरकार ने इस साल अपनी पूरी कैबिनेट के साथ दिल्ली सचिवालय में डोरस्टेप डिलीवरी का शुभांरभ किया था, जो दिल्लीवासियों के लिए काफी फायदेमंद रही। इस प्रस्ताव के तहत 40 सेवाओं को शामिल किया गया है, जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस, जाति प्रमाण पत्र, राशन कार्ड और नए वॉटर कनेक्शन भी शामिल हैं। इस सर्विस को पहले दिन लोगों से काफी अच्छा रेस्पॉन्स मिला था। लॉन्च होने के पहले आठ घंटे में करीब 21 हजार दिल्लीवासियों ने इस सर्विस के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था।
 
राशन घोटाला
दिल्ली में राशन वितरण के लिए तीन माह तक चलाई गईं ई-पॉस मशीनों से 325 करोड़ का घोटाला सामने आया था। यह घोटाला 2013 के अंत से चल रहा था। विपक्ष द्वारा दबाव बनाने के बाद सरकार ने कुल 2.93 लाख राशन कार्ड निरस्त कर दिए थे। इसमें यह खुलासा हुआ कि इन कार्डों के विनाह पर 244 करोड़, 71 लाख, 36 हजार के गेंहू और 80 करोड़ 16 लाख 28 हजार के चावल का घपला किया गया था जिसका मतलब था जो अनाज गरीबों के लिए आया वह गरीबों तक पहुंचा ही नहीं। और इनमें निरस्त किए गए राशन कार्ड में अधिकतर कार्ड नकली थे।

 
सिग्नेचर ब्रिज विवाद
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार आज दिल्ली को बेहतरीन सिग्नेचर ब्रिज की सौगात मिली थी, लेकिन इसके उद्घाटन के दौरान दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी पुलिस से भिड़ गए थे। केजरीवाल के पहुंचने से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं ने वहां विरोध प्रदर्शन भी किया था।
 
सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन समारोह में आप विधायकों के साथ धक्का-मुक्की में उलझे दिल्ली भाजपा इकाई के प्रमुख मनोज तिवारी ने आरोप लगाया था कि उन्हें आप के एक विधायक ने गोली मारने की धमकी दी और साथ ही कुछ पुलिसर्किमयों भी उनके साथ गलत व्यवहार किया था।
 
पार्टी ने एक बयान में कहा था कि आप विधायक अमानतुल्ला खान ने दिल्ली भाजपा अध्यक्ष पर हमला किया था। खान ने हालांकि, आरोपों से इनकार किया, पर बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनोज तिवारी ने आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।