एअर इंडिया पर नहीं बनी बात, अब सहायक कंपनी AIATSL को बेचेगी सरकार

एअर इंडिया पर नहीं बनी बात, अब सहायक कंपनी AIATSL को बेचेगी सरकार

 
नई दिल्ली  
   
कर्ज में डूबी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने में सफलता न मिलने से परेशान केंद्र सरकार ने वैकल्पिक इंतजाम के तौर पर नया कदम उठाया है. सरकार ने एयर इंडिया की सहायक कंपनी एआईएटीएसएल (AIATSL) में रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दी है. यह कंपनी ग्राउंड हैंडलिंग का काम जैसे यात्रियों की सुरक्षा, कार्गो और रैंप का काम देखती है.
मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा गठित मंत्री समूह (GoM) ने एयर इंडिया के रिवाइवल प्लान के तहत उसकी सहायक एआईएटीएसएल में इस बिक्री को मंजूरी दी. इस समूह में वित्त मंत्री अरुण जेटली और सिविल एविएशन मंत्री सुरेश प्रभु भी शामिल थे.

सरकार के सूत्रों की तरफ से कहा गया है कि एआईएटीएसएल की बिक्री से जो रकम मिलेगी, उसका उपयोग एयर इंडिया के कर्ज का भुगतान करने में किया जाएगा.

एयर इंडिया पर कितना है कर्ज
बता दें कि एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है, जिसकी भरपाई के लिए कंपनी में विनिवेश की कोशिशें की जा रही थीं. अब एयर इंडिया को कर्ज से उबारने के लिए अरुण जेटली की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने एआईएटीएसएल में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश का निर्णय किया है.

सिविल एविएशन सचिव राजीव नयन चौबे ने आजतक से कहा, 'पहले कदम के तौर पर एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बिक्री के लिए प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (PIM) के साथ रूचि पत्र (EOI) को मंजूरी दे दी गई है.' इसके बाद आईएटीएसएल को विशेष उद्देश्यीय कंपनी (एसपीवी) को ट्रांसफर करने के बाद उसकी बिक्री की जाएगी. इस संबंध में एसपीवी का गठन पहले ही किया जा चुका है.

क्या है AIATSL कंपनी
बता दें कि AIATSL का गठन जून 2003 में हुआ था और वित्त वर्ष 2016-17 में कंपनी को 61.66 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था. यह कंपनी (AIATSL) एयरपोर्ट पर उतरने वाली फ्लाइट्स के लिए अगली उड़ान से पहले अलग-अलग किस्म की सेवाएं देती है.

हाल ही में केंद्रीय उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने बताया था कि सरकार फिलहाल एयर इंडिया में विनिवेश का फैसला नहीं ले रही है, इसकी बजाय एयरलाइन के रिवाइल प्लान पर काम किया जाएगा. जिसके बाद मंगलवार को मंत्री समूह ने AIATSL में बिक्री का फैसला लिया है. इससे पहले एयर इंडिया के 76 फीसदी शेयर बेचने का फैसला किया गया था लेकिन 31 मई तक इसके लिए कोई कंपनी सामने नहीं आई. इसके बाद इस ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

कहीं टार्गेट पूरा करना लक्ष्य तो नहीं
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि सरकार ने कुछ करोड़ की सहायक कंपनी को फैसला क्यों किया. यह जानना रोचक होगा कि सरकार ने इस वित्त वर्ष में विनिवेश से 80000 करोड़ का टार्गेट रखा है लेकिन अभी 16000 करोड़ ही जुटाए जा सके हैं. सरकार इस बात के लिए भी खुद को तैयार कर रही है कि एयर इंडिया कि सब्सिडियरी कंपनी को बेचने पर सवाल भी खड़े होंगे. एयर इंडिया की कई सहायक कंपनियां हैं जिसमें एयर इंडिया चार्टर्स लिमिटेड, आईएएल एयरपोर्ट सर्विसेस लिमिटेड, एयरलाइन अलाइड सर्विसेस लिमिटेड और होटल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेस लिमिटेड इन सबमें एआईएटीएसएल फायदे में है फिर इसे क्यों बेचा जा रहा है.