नोएडा के अस्पताल आधार कार्ड में स्थानीय पता नहीं होने पर मरीजों को वापस लौटा रहे

नोएडा
आधार कार्ड में स्थानीय पता न होने पर सैकड़ों संक्रमितों को गौतमबुद्ध नगर के कोविड अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जा रहा है। कॉल सेंटर पर फोन करने पर प्रतिदिन यह परेशानी लोगों को झेलनी पड़ रही है। यह परेशानी सरकारी और निजी अस्पतालों में आ रही है। कोरोना संक्रमित 35 वर्षीय मनीष कुमार श्रीवास्तव को भर्ती करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया कि उनके आधार कार्ड पर दिया हुआ पता सरौना, जिला जौनपुर था, जबकि वह यहां सात साल से रह रहे हैं। उनका ऑक्सीजन लेवल 82 था। भर्ती करने से मना करने के बाद परिजनों ने ऑक्सीजन का सिलेंडर लगाकर उनको घर में रखा हुआ है। जिंदगी और मौत से जूझ रहे मनीष अभी ऑक्सीजन पर हैं। शाहबेरी में रह रहे मनीष के परिजन पिछले दो दिनों से अस्पताल में भर्ती कराने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ यह कहकर अस्पताल नहीं भेजा जा रहा है कि वह दूसरे जिले के हैं। यह एक उदाहरण है। जिन मरीजों का पता गौतमबुद्धनगर का नहीं है, उन्हें भर्ती नहीं किया जा रहा है। कॉल सेंटर पर सीधा यही कहा जा रहा है कि भर्ती कराने के लिए स्थानीय पता होना चाहिए, जबकि जितने लोगों को मना किया गया सभी नोएडा-ग्रेटर नोएडा के विभिन्न कंपनियों और संस्थानों में काम करते हैं और यहां कई सालों से रह रहे हैं। ''स्थानीय लोगों को इलाज में प्राथमिकता देने की बात है, लेकिन दूसरे जिलों के लोगों का भी इलाज होगा।'' -डॉ. दीपक ओहरी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
दो लाख लोगों को घर पर इलाज कराना होगा
दूसरे राज्यों और जिले के दो लाख से अधिक ऐसे लोग नोएडा और ग्रेटर नोएडा में काम कर रहे हैं, जिनके आधार कार्ड पर स्थानीय पता नहीं है। ऐसे में अगर इन लोगों केा कोरोना संक्रमण होता है तो घर पर ही इलाज कराना पड़ेगा। बेड की मारामारी और ऑक्सीजन की कमी के बीच दूसरे राज्यों और जिलों से आने वाले लोगों के लिए भी यह एक बड़ी परेशानी है। किराये पर रहने वाले काफी कम लोग ही आधार कार्ड पर अपना स्थानीय पता लिखवाते हैं, क्योंकि मकान मालिक जरूरत के कागजात देने में आनाकानी करते हैं।
आरटी-पीसीआर की जांच के लिए भी जरूरी
एंटीजन जांच सभी के हो रहे हैं, लेकिन अगर आरटी-पीसीआर जांच करानी है तो स्थानीय पता होना जरूरी है, नहीं तो नमूने नहीं लिए जाएंगे। जिला अस्पताल में प्रतिदिन इस बात को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों और संदिग्ध मरीजों के बीच बहसबाजी होती है, लेकिन जिन लोगों का आधार कार्ड पर स्थानीय पता नहीं है उनकी आरटी-पीसीआर जांच नहीं हो रही है। इससे वह निजी लैब पर जांच कराने को निर्भर हैं। अब निजी लैब में भी महज 100-150 लोगों की प्रतिदिन जांच हो रही है। इससे परेशानी और बढ़ गई है।