पत्नी के इलाज का मेडिक्लेम नहीं मिला तो 4 साल लड़ी लड़ाई, 90 वर्ष की उम्र में मिली जीत

पत्नी के इलाज का मेडिक्लेम नहीं मिला तो 4 साल लड़ी लड़ाई, 90 वर्ष की उम्र में मिली जीत

इंदौर
मध्यप्रदेश के इंदौर से एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। जिसमे एक 90 वर्षीय बुजुर्ग ने उपभोक्ता फोरम में एक निजी कम्पनी के खिलाफ अपनी पत्नी के इलाज का सही मेडिक्ले नहीं मिलने के कारण परिवाद दायर की है। इतना ही नहीं बुजुर्ग ने चार साल तक संघर्ष करके कम्पनी की मनमानी के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज की है।

मामला जनता कॉलोनी निवासी 90 वर्षीय माधवराव पेठे का है। जानकारी के अनुसार बुजुर्ग की पत्नी को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराना पड़ा तो कंपनी ने इलाज में लगी रकम नहीं देते हुए मनमाने तरीके से आधा-अधूरा क्लेम पास कर दिया। उसके बाद बुजुर्ग ने पत्र लिखकर कंपनी से इसकी वजह पूछी तो उन्हें कम्पनी द्वारा कोई जवाब नहीं मिला। जब जवाब नहीं मिला तो 90 वर्षीय बुजुर्ग ने उपभोक्ता फोरम में कंपनी के खिलाफ परिवाद दायर की। फोरम द्वारा की गई जांच में पता चला है क्लेम गलत तरीके से पास हुआ था। कंपनी को इलाज में लगी पूरी रकम का भुगतान करना चाहिए था। बीते कई दशकों से माधवराव अपने और पत्नी के नाम से एक लाख रुपए की मेडिक्लेम पॉलिसी ले रहे हैं।

आपको बता दें कि जनवरी 2015 को बुजुर्ग की पत्नी की तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें सीएचएल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भर्ती कराने पर इलाज में 51 हजार रुपए से अधिक खर्चा आया। जब माधवराव ने मेडिक्लेम पॉलिसी बेचने वाली न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लि. से इस रकम का भुगतान करने के लिए कहा तो कंपनी ने लगभग सिर्फ साढ़े 22 हजार रुपए ही दिए।

जब कई बार माधवराव द्वारा भुगतान की गुहार लगाए जाने के बाद भी कोई हल नहीं निकला तो उन्होंने एक वकील कामील खान की मदद से बीमा कंपनी के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम शिकायत कर दी। चार साल तक वे फोरम की कारवाही के लिए बताई गई तारीखों पर उपस्थित हुए। आखिर में बुजुर्ग के संघर्ष की जीत हुई और फोरम ने माना की बीमा कंपनी ने सेवाओं में लापरवाही की है। उसके बाद फोरम के अध्यक्ष ओपी शर्मा द्वारा बीमा कंपनी को आदेश दिया गया कि कम्पनी दो महीनों में बुजुर्ग को जनवरी 2015 से 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित 24 हजार 682 रुपए का भुगतान करे। फोरम ने 90 साल की उम्र में व्यक्ति को परेशान होना पड़ा इसलिए कंपनी को इसके बदले 10 हजार रुपए अतिरिक्त देने का आदेश दिया है।