पश्चाताप का बोध भी कराता है खुशियों का यह त्योहार

पश्चाताप का बोध भी कराता है खुशियों का यह त्योहार

लोहड़ी खुशियों का त्योहार है। यह त्योहार भगवान सूर्य और अग्नि को समर्पित है। सूर्य और अग्नि को ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है। यह त्योहार सर्दियों के जाने और बसंत ऋतु के आने का संकेत है। लोहड़ी की रात सबसे ठंडी मानी जाती है। इस त्योहार पर पवित्र अग्नि में फसलों का अंश अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से फसल देवताओं तक पहुंचती है। इस त्योहार से कई मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा दक्ष के यज्ञ में कूदकर माता सती ने आत्मदाह कर लिया था, उसी दिन के पश्चाताप के रूप में प्रति वर्ष लोहड़ी मनाया जाता है। इस कारण घर की विवाहित बेटियों को इस दिन उपहार दिए जाते हैं। शृंगार का सामान दिया जाता है। इस त्योहार पर बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है। यह भी माना जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नामक लड़कियों को राजा से बचाकर दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने अच्छे लड़कों से उनकी शा‍दी कराई थी। उन लड़कियों को सम्मानित जिंदगी जीने का अवसर मिला और पंजाब के लोगों ने दुल्ला भट्टी को पंजाब का नायक बना दिया। इस दिन नवविवाहित जोड़ों और शिशु जन्म पर लोहड़ी की बधाई दी जाती है। लोहड़ी पर जलाई जाने वाली अग्नि आपसी बैर को खत्म करती है और भाईचारे को बढ़ावा देती है।