बालाकोट में बरसों से जारी है जंग, 200 साल पहले रायबरेली के शख्स ने चुना था जिहाद के लिए

बालाकोट में बरसों से जारी है जंग, 200 साल पहले रायबरेली के शख्स ने चुना था जिहाद के लिए

नई दिल्ली 
एयरफोर्स ने मंगलवार को जब बालाकोट में आतंकी कैंपों पर हमला बोलो उससे भी लगभग 200 साल पहले रायबरेली के एक शख्स ने इस जगह को जिहाद के लिए चुना था। सैयद अहमद बरेलवी (1786-1831) ने इस जगह को जिहाद शुरू करने की जगह बनाई। इसे आधुनिक इतिहास में इसे पहला जिहाद भी कहा जाता है।  
 
रायबरेली के थे सैयद अहमद, इस्लामिक राज्यकी स्थापना था सपना 
सैयद अहमद के नाम के साथ बरेलवी उपनाम इसलिए जुड़ा क्योंकि वह मूल रूप से रायबरेली के रहनेवाले थे। बरेलवी मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना का सपना उस दौर में देख रहे थे जब उपमहाद्वीप के अलग-अलग हिस्सों में मराठा, जाट और सिखों की हुकूमत कायम थी। बड़े भू-भाग पर अंग्रेज तेजी से अपने पैर पसार रहे थे। मुगलों की सत्ता लगातार कमजोर होती जा रही थी, उस दौर में बरेलवी ने बालाकोट को धार्मिक साम्राज्य की स्थापना के लिए चुना। 

सुरक्षित होने के कारण बालाकोट को बरेलवी ने चुना 
बालाकोट को अपने जिहाद के लॉन्चिंग पैड के लिए सैयद अहमद बरेलवी ने खास कारण से चुना। सुदूरवर्ती इलाके में होने के कारण उन्हें उम्मीद थी कि यहां पर धावे के लिए आना मुश्किल है। पहाड़ों से घिरे होने और एक तरफ से नदी होने के कारण भी उस दौर में युद्ध के लिए यहां चढ़ाई करना मुश्किल था। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर उन्होंने 46 साल की उम्र में यहां से अपना इस्लामिक साम्राज्य बसाने की योजना पर काम करने की सोची। पाकिस्तानी लेखक अजीज अहमद के अनुसार, बरेलवी को उम्मीद थी कि उन्हें आसपास की मुस्लिम आबादी और अफगानिस्तानियों से इस्लामिक साम्राज्य स्थापना के लिए मदद मिलेगी 
भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले मंगलवार को जब पाकिस्तान के कुछ इलाकों में वायुसेना के हमले की जानकारी देने के लिए पत्रकारों के बीच बैठे तो उन्होंने पहले ही कह दिया कि वह सिर्फ बोलेंगे और कोई सवाल नहीं लेंगे। इसके बाद उन्होंने विस्तार से पाकिस्तानी इलाके बालाकोट पर हमले और वहां आतंकी कैंपों को ध्वस्त करने की जानकारी दी। दरअसल बालाकोट खैबर पख्तून इलाके वाला ही है। यह मानशेरा जिले का तहसील मुख्यालय है जो पहाड़ियों से घिरा हुआ है।