महासमुंद में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते सिरदर्द बनी नसबंदी योजना
महासमुंद
शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओ मे से एक नसबंदी योजना अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण मरीजों के लिए सिरदर्द बनी हुई है. ऐसा ही मामला महासमुंद के जिला चिकित्सालय में सामने आया है. मरीज नसबंदी कराने के लिए दूर-दराज से जिला चिकित्सालय पहुंच रहे हैं, पर अस्पताल में अनिमियतता होने के कारण मरीजो का नसबंदी नही हो पा रही है और मरीज हफ्तों अस्पताल के चक्कर लगाने को मजबूर हैं.
महासमुंद के जिला अस्पताल में इन दिनों परिवार नियोजन के लिए नसबंदी धड़ल्ले से जारी है. 100 बिस्तर वाले अस्पताल में प्रतिदिन 30 मरीजों की नसबंदी की जा रही है. वर्तमान में आंरग ( रायपुर ), गरियाबंद , बलौदाबाजार जिलो में नसबंदी कार्य बंद होने के कारण ज्यादा मरीजों की संख्या महासमुंद जिले के जिला अस्पताल में आ रहे हैं और जिला अस्पताल में व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण मितानिन अपनी मनमानी कर रही हैं, जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
नियमानुसार फार्म जमा करने के बाद मरीजों को पावती मिलना चाहिए. ताकि मरीज को पता चल सके कि उन्हें कब नसबंदी के लिए आना है, पर अस्पताल में फार्म जमा करने के बाद किसी भी प्रकार की पावती मरीज के नहीं दी जा रही है. आरोप लगाया जा रहा है कि इसका फायदा अस्पताल के कर्मचारी व मितानिन उठा रही हैं. मितानिन अपने मरीजों का बुकिंग तत्काल कर लेती हैं और जिन्हें उस तारीख पर बुलाया जाता है, उन्हें यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि आपका फार्म नहीं मिल रहा है और जनवरी के पहले सप्ताह तक के मरीज प्रतीक्षा सूची में है.
मरीज हेमंत देवांगन ने बताया कि अस्पताल की इस अव्यवस्था के कारण मरीज एक से दो हफ्ते तक दूर -दराज से आकर अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं. मरीज गुमान धीवर का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस पूरे मामले में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राकेश परदल चारों तरफ का भार होने से असुविधा होने की बात स्वीकारते हुवे आल इज वेल बता रहे हैं.