‘महिला सशक्तिकरण में पुरुषों की भूमिका’ कार्यक्रम में मंत्री जीतू पटवारी हुए शामिल

भोपाल
दुनिया में मां जीवन की पहली शिक्षक हैं। मां से बेहतर संस्कार और सीख दुनिया में दूसरा कोई देने वाली नहीं है। भले ही मां अशिक्षित ही क्यों न हो, लेकिन वे पूरे प्रयास करती है कि उसकी संतानें शिक्षित हों। महिला सशक्तिकरण में महिलाओं की भूमिका ही सबसे महत्वपूर्ण है। यह बात सयाजी होटल में आयोजित ‘महिला सशक्तिकरण में पुरुषों की भूमिका’ विषय पर विशेष कार्यक्रम में खेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कही। इस कार्यक्रम में मंत्री पटवारी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। यह विशेष कार्यक्रम द पृथ्वी फांउडेशन द्वारा आयोजित किया गया। फांउडेशन की प्रमुख दीप्ति आर सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। इसमें प्रतीक्षा दीक्षित ने दीप प्रज्जवित कर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। यह कार्यक्रम दो चरणों में हुआ। पहले चरण में विधायक कुणाल चौधरी, निर्मल वार्ता की एडिटर इन चीफ वर्षा सिंह और राष्टÑीय किसान मजदूर संगठन के स्टेट प्रेसींडेंट राहुल राज विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए।
कार्यक्रम में विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि मैं एक ग्रामीण परिवेश से हूं। मां ने मेरी और भाई-बहनों की पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा काम किया। हमें सही और समाज के सारे संस्कार उन्होंने दिए। मेरा मानना है कि पुरुषों का रोल यह होना चाहिए कि वे महिलाओं को आगे लाएं। यही आज के समाज के लिए उचित होगा। वहीं, वर्षा सिंह ने कहा कि आज भी महिलाओं की पहचान उनके पति और पिता के नाम से होती है। मेरा मानना है कि यह प्रथा और तरीका बंद होना चाहिए। महिलाएं जब पुरुषों के बराबर आकर सारे काम कर रहीं हैं तो उनकी पहचान खुद उन्हीं के नाम से होनी चाहिए।
युवा राहुल राज ने कहा कि शहरों की अपेक्षा गांव और ग्रामीण परिक्षेत्र में आज भी महिलाओं का महत्व है। घर के सारे निर्णयों में महिलाओं की राय ली जाती है। लेकिन राजनीतिक सहित कुछ विशेष स्थानों पर आज भी पुरुष उसे पीछे कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को आरक्षण मिलने के बाद भी पार्षद पति, सरपंच पति, अध्यक्ष पति, विधायक पति ज्यादा हावी रहते हैं। ऐसे में समाज और पुरुषों को कुछ सोच बदलकर महिलाओं को आगे लाना चाहिए।