मिशन 2019: केजरीवाल के नेतृत्व में AAP लड़ेगी चुनाव, 1 साल बढ़ाया गया कार्यकाल
नई दिल्ली
आप की राष्ट्रीय परिषद ने अगले साल लोकसभा चुनाव और इसके बाद दिल्ली के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित परिषद के सभी सदस्यों का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। शनिवार को हुई परिषद की बैठक में यह फैसला किया गया। दिन भर चली बैठक के बाद पार्टी के प्रवक्ता पंकज गुप्ता ने बताया कि सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि अगले साल लोकसभा चुनाव है और इसके कुछ महीने बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव है, इसके मद्देनजर हम सबने फैसला किया है कि इस परिषद की कार्यअवधि को एक साल और बढ़ाया जाए।
गुप्ता ने बताया कि अगले साल 23 अप्रैल को मौजूदा परिषद का कार्यकाल समाप्त होगा। इसके मद्देनजर परिषद ने यह तय किया है कि या तो एक साल या इसके पहले, जब भी चुनाव हो सके, तब ही राष्ट्रीय परिषद का पुनर्गठन किया जाए। गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से अटकलें लगाई जा रही थीं कि परिषद का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा या पार्टी के संविधान में संशोधन किया जाएगा। राष्ट्रीय परिषद ने सातवीं बैठक में इस विषय पर चर्चा करने के उपरांत यह फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि आप के संविधान के मुताबिक पार्टी संयोजक सहित राष्ट्रीय परिषद के अन्य पदों पर कोई व्यक्ति लगातार दो बार ही रह सकता है। इसके मद्देनजर केजरीवाल को संयोजक बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय परिषद का कार्यकाल बढ़ाने या संविधान संशोधन का ही विकल्प था।
महागठबंधन पर AAP मौन
बैठक में परिषद के अन्य फैसलों की जानकारी देते हुए आप की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने बताया कि परिषद ने एकमत से यह राय व्यक्त की है कि मोदी सरकार के तानाशाही पूर्ण रवैये से देश को मुक्त कराना जरूरी है। परिषद ने मोदी सरकार को देश की सत्ता से हटाने के लिए अन्य दलों को जो भी सहयोग की जरूरत होगी उसे करने का प्रस्ताव पारित किया है। हालांकि राय ने विपक्षी दलों द्वारा प्रस्तावित महागठबंधन में आप के शामिल होने के बारे में कुछ नहीं बताया। उन्होंने कहा कि परिषद ने तय किया है कि लोकसभा चुनाव में अपनी (आप) भूमिका को निभाने के साथ साथ मोदी सरकार को हटाने के लिए जो भी सहयोग की जरूरत होगी उसे करेंगे और इस तानाशाही पूर्ण सरकार को उखाड़ कर फेकेंगे।’’
इन मुद्दों पर मोदी को घेरेगी AAP
चुनाव प्रचार अभियान के बारे में राय ने बताया कि आप अगले लोकसभा चुनाव में किसानों के साथ मोदी सरकार की वादाखिलाफी को प्राथमिकता से उठाएगी। इसके अलावा महिला सुरक्षा और राफेल खरीद मामले में भ्रष्टाचार को भी चुनावी मुद्दा बनाएगी। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिल्ली सरकार के ऐतिहासिक कार्यों को चुनाव प्रचार के दौरान लघु फिल्मों के माध्यम से विभिन्न राज्यों में जनता के बीच ले जाने का परिषद ने फैसला किया है। बैठक में 20 राज्यों के लगभग 250 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। समझा जाता है कि पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे कार्यकारिणी के सदस्य कुमार विश्वास दोनों बैठकों से नदारद रहे। विश्वास और पार्टी की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।