ये 'माई के लाल'विधान सभा चुनाव में जनता से कर रहे हैं ख़ास अपील

ये 'माई के लाल'विधान सभा चुनाव में जनता से कर रहे हैं ख़ास अपील

भोपाल 
चुनाव प्रचार के आख़िरी दौर में मतदाता नोटा वर्सेज 'नो नोटा' के कैम्पैन में उलझ गए हैं. राजनीतिक दल और प्रत्याशियों की कोशिश ये है कि मतदाता नोटा का बटन ना दबाएं, ताकि एक भी वोट ख़राब ना हो. लेकिन ब्रह्म समागम संगठन लोगों से नोटा का बटन दबाने की अपील कर रहा है.

भोपाल में चुनाव प्रचार के शोर में एक अलग गाड़ी सड़कों पर दिखायी दे रही है. गाड़ी पर तमाम बैनर-पोस्टर लगे हैं, उनमें मतदाताओं से नोटा का बटन दबाने की अपील की गयी है. नोटा का ये प्रचार ब्रह्म समागम संगठन कर रहा है. उसने इस प्रचार के लिए चुनाव आयोग से परमीशन ली है. आयोग ने 6 प्रचार वाहनों की इजाज़त दी है. अब इन प्रचार वाहनों से  नोटा का प्रचार किया जा रहा है.

दरअसल नोटा के प्रचार में ब्रह्म समागम संगठन  का अपना स्वार्थ है. संगठन राजनीतिक दलों से इसलिए नाराज़ है क्योंकि किसी भी दल ने अपने घोषणा पत्र में एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन या आर्थिक आधार पर आरक्षण जैसे मुद्दे पर  अपना रुख़ स्पष्ट नहीं किया है. इसलिए इन माई के लालों ने नोटा का प्रचार शुरू कर दिया है. ब्रह्म समागम संगठन, सवर्णों को समझा रहा है कि वो किसी दल को वोट ना दें क्योंकि दलों ने उनका ख़्याल नहीं रखा.

संगठन के अध्यक्ष धर्मेन्द्र शर्मा कक्काजी हैं. उनके कार्यकर्ता  हर उस सीट पर जा रहे हैं, जहां बीजेपी के मंत्री और विधायक नाममात्र के अंतर से जीते थे. संगठन के सदस्य घर-घर जाकर अपील कर रहे हैं कि वो अपना कीमती वोट किसी नेता को देकर बर्बाद ना करें, बल्कि नोटा का बटन दबाकर सबक सिखाएं.

नोटा, 2013 के चुनाव में आया था.  बैलेट बॉक्स में नोटा पर पड़े वोटों ने दलों की नींद उड़ा रखी है.लेकिन ज्यादा परेशान वो प्रत्याशी हैं, जिन सीटों में नोटा ने हार जीत के अंतर को कम कर दिया था. मध्य प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में कुल 72.69 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. उसमें से 6 लाख 43 हजार 144​ मत​​ नोटा के पाले में गए थे. सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा के 39 हजार 381  मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. बस उसी ने कई नेताओं का करियर ख़त्म कर दिया.