राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त गंगा बाई उइके ने बीजेपी से दिया इस्तीफा

भोपाल, बीजेपी में एक के बाद एक नेता बगावत कर रहे है। कोई पार्टी छोड़ दूसरे दल में शामिल हो रहा है तो कोई निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर रहा है। ऐसे में   राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त गंगा बाई उइके ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान भी कर दिया है। राज्य महिला आयोग की सदस्य गंगा उईके पूर्व विधायक की पत्नी हैं। दरअसल, बीजेपी ने इस बार अपने कई विधायकों और मंत्रियों का टिकट काट दिया है। गंगा उइके को इस बार टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। वह इस बात से नाराज बताई जा रही थीं। रविवार की शाम उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात की थी. लेकिन बात नहीं बनी। अब उन्होंने ऐलान किया है कि वह निर्दलीय के तौर पर पर्चा भरेंगीं। बताया जा रहा है कि यह फैसला गंगा उईके ने समर्थकों के कहने पर फैसला लिया।वे सोमवार को समर्थकों के साथ जाकर निर्दलीय चुनाव लडने नामांकन भरेगी। बता दे कि इसके पहले भी कई लोग निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके है। चुनाव से पहले पार्टी के सामने एक के बाद एक चुनौतियां आती जा रही है। ऐसे में ये बागी चुनाव में भाजपा का गणित बिगड़ सकते है। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यहां की कुल जनसंख्या 3 लाख 46 हजार 732 और 2 लाख 25 हजार 738 मतदाता हैं। इस सीट पर आदिवासी मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। यहां पर 60 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं। वर्तमान में इस सीट से भाजपा के मंगल सिंह धुर्वे विधायक हैं।  2016 के उपचुनाव में बीजेपी के मंगल सिंह धुर्वे ने कांग्रेस के प्रताप सिंह उईके को शिकस्त दी थी। इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी के सज्जन सिंह उईके ने कांग्रेस के ब्रम्हा को हराया था। सज्जन सिंह को 77793 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस के ब्रम्हा को 69709 वोट मिले थे। सज्जन सिंह ने ब्रम्हा को 4 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 2008 के चुनाव की बात करें तो इस बार भी बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. बीजेपी के गीता रामगीलाल उईके ने कांग्रेस के प्रताप सिंह को हराया था। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 8 हजार से ज्यादा वोट का था। घोड़ाडोंगरी विधानसभा के सियासी इतिहास की बात करें तो अब तक हुए कुल 13 चुनावों में कांग्रेस ने 4 बार तो बीजेपी ने 6 बार जीत हासिल की है। वहीं जन संघ ने 2 बार और जनता पार्टी ने 1 बार जीत दर्ज की।