राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ, सुप्रीम कोर्ट के 48वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस रमन्ना

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे शुक्रवार को रिटायर हो गए। इसके बाद उनके लिए एक खास फेयरवेल का आयोजन किया गया। इस बीच शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस एनवी रमन्ना को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की शपथ दिलाई। कोरोना महामारी की वजह से राष्ट्रपति भवन की ओर से ज्यादा बड़ा कार्यक्रम नहीं आयोजित किया गया। इसमें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह समेत चुनिंदा हस्तियां ही शामिल थीं।
हिंदी दरअसल रिटायर होने से पहले जस्टिस बोबडे ने जस्टिस रमन्ना के नाम की सिफारिश सरकार से मुख्य न्यायाधीश के रूप में की थी। सरकार के बाद राष्ट्रपति ने भी उसे मंजूरी दे दी। इसके बाद शनिवार को उनका शपथ ग्रहण हुआ। पिछले दिनों जस्टिस रमन्ना का नाम काफी सुर्खियों में था, क्योंकि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने हाईकोर्ट को एक पत्र लिखकर उनकी शिकायत की थी।
'शाहरुख खान चाहते थे राम मंदिर की नींव मुसलमान,मस्जिद की नींव रखे हिंदू',चीफ जस्टिस के विदाई समारोह में खुलासा 45 साल का है अनुभव आपको बता दें कि 63 वर्षीय जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश के ही मूल निवासी हैं। साल 1983 में उन्होंने अपने न्यायिक करियर की शुरुआत करते हुए आंध्र प्रदेश के कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद साल 2000 में वो हाईकोर्ट के स्थायी जज चुने गए। वहां पर उनके अच्छे कार्यकाल को देखते हुए 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट बुला लिया गया। जस्टिस एनवी रमन्ना को लोग शांत, गंभीर और संवैधानिक मामलों का अच्छा जानकार मानते हैं। उनके पास 45 साल का अनुभव है और वो सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसले का हिस्सा रह चुके हैं। मौजूदा वक्त में सुप्रीम कोर्ट का सबसे वरिष्ठ जज होने की वजह से जस्टिस बोबडे ने उनके नाम की सिफारिश की थी।