रेमडेसिविर इंजेक्शन का 10 गुना दाम में हो रहा था सौदा, 3 आरोपी गिरफ्तार
जबलपुर
कोरोना के इस संकट काल में मरीज़ों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की भारी डिमांड है. कालाबाज़ारी और मुनाफाखोर ज़िंदगी पर आए इस संकट को भी मौके में बदल रहे हैं. जबलपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बिक रहा है. 850 रुपये का इंजेक्शन दस गुना ज़्यादा कीमत पर बेचा जा रहा था.
एक तरफ कोरोना कहर बरपा रहा है तो दूसरी तरफ कोरोना मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाने में चंद लोग लगे हुए हैं. ऐसा ही एक मामला जबलपुर में सामने आया जहां कोरोना मरीज के परिवार से रेमडेसिविर इंजेक्शन की 10 गुना कीमत वसूली जा रही थी.
जबलपुर की माढ़ोताल थाना पुलिस के मुताबिक कोरोना के एक मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया जाना था. मरीज़ भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती है. कालाबाजारियों ने वो इंजेक्शन ब्लैक में उपलब्ध कराने के लिए उसके परिवार को जबलपुर बुलाया. आरोपियों ने नेमा हार्ट अस्पताल के पास भोपाल से आए मरीज के परिवार को बुलाया. रेमडेसिविर के 4 इंजेक्शन करीब 80 हजार रुपए में देने का सौदा तय किया. जबकि एक इंजेक्शन की असली कीमत महज 850 रुपये थी.
पुलिस को इसकी खबर मिल गयी. सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने घेराबंदी कर तीन आरोपियों को पकड़ लिया. इन आरोपियों के नाम विवेक असाटी, राम लखन पटेल और अतुल शर्मा हैं. इनके पास से इंजेक्शन और रकम भी बरामद कर ली गयी.
इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी लगने के बाद जबलपुर पुलिस ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए भोपाल से आए कोरोना मरीज के परिजन को सरकारी रेट पर इंजेक्शन उपलब्ध कराया और भोपाल रवाना किया. पुलिस ने आरोपियों से सख्त पूछताछ की तो पता चला कि आरोपी अतुल शर्मा एक निजी अस्पताल में कर्मचारी है. उसी अस्पताल से उसने इंजेक्शन चुराया था और उसे कालाबाजारी कर 10 गुने दाम में बेच रहा था. तीनों आरोपियों में से एक एमआर है. जो इंजेक्शन की कालाबाजारी में लिप्त था.
अब सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि जिस निजी अस्पताल से इंजेक्शन चुराया गया स्वाभाविक है कि वहां भी किसी मरीज के लिए ही बुलवाया गया होगा. लेकिन अस्पताल के कर्मचारी मिलीभगत करके उन मरीजों के साथ भी धोखा कर रहे हैं. पुलिस आरोपियों से सख्त पूछताछ कर रही है और इस कालाबाजारी की तह तक जाने की कोशिश में जुटी हुई है.