सागर जिले में मासूस से दुराचार के आरोपित की फांसी आजीवन कारावास में बदली

सागर जिले में मासूस से दुराचार के आरोपित की फांसी आजीवन कारावास में बदली

जबलपुर
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस पीके जायसवाल और जस्टिस वीके श्रीवास्तव की युगलपीठ ने जिला अदालत सागर के फैसले को पलटते हुए दुराचार के आरोपित की फांसी को आजीवन कारावास में बदल दिया है। इस मामले का रिफरेंस हाईकोर्ट को भेजा गया था, साथ ही आरोपित ने भी फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी।

अभियोजन के अनुसार रहली थाना क्षेत्र के एक गांव में 18 जुलाई 2018 की दोपहर एक 12 वर्ष से कम उम्र की बालिका का खेलते समय अपहरण 40 वर्ष के नरेश परिहार ने कर लिया था। नरेश ने इसके बाद बालिका को एक कमरे में बंद कर उसके साथ दुराचार किया। शाम 5 बजे के बाद जब मासूम घर पहुंची तो उसने अपनी मां को घटना की जानकारी दी। जिस पर रहली थाना में नरेश के विरुद्ध अपराध दर्ज कराया गया। पुलिस ने अपराधी को गिरफ्तार कर रहली सिविल कोर्ट में चालान पेश किया।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियुक्त ने स्वयं के निर्धन होने और अधिवक्ता हायर नहीं कर पाने की अपील न्यायाधीश के समझ प्रस्तुत की थी जिससे उसे विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकार के तहत अधिवक्ता भी दिया गया था। लेकिन सुनवाई के दौरान आरोपित अपने बचाव में एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका।

इधर, न्यायालय में आरोपित के विरुद्ध प्रस्तुत साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए एडीजे सुधांशु सक्सेना ने मामले में 14 अगस्त 2018 को फैसला सुनाते हुए नरेश पिता देवसिंह परिहार (40) निवासी रहली थाना क्षेत्र को आइपीसी की धारा 376 (कख), पॉक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं में दोषी पाते हुए व संसोधित अध्यादेश 2018 को ध्यान में रखते हुए मृत्युदंड की सजा से दंडित किया था। आरोपित की ओर से अधिवक्ता महेन्द्र पटेरिया, प्रमोद ठाकरे ने पक्ष रखा। वहीं शासन की ओर से अधिवक्ता एसके राय ने पैरवी की।