सेना को मिलेगी देसी बोफोर्स, खुद गोला भरेगी और दागेगी

नई दिल्ली
भारतीय सेना के तोपखाने की ताकत में लगातार इजाफा हो रहा है। नई जनरेशन की तोप शामिल हो रही हैं। इनका निशाना सटीक है। ज्यादा दूर तक मार करती हैं। पहले की तुलना ज्यादा घातक भी हैं। इनमें हमारी बनाई देसी बोफोर्स भी है, जो ऑटोमैटिक तरीके से गोला भरकर दागती है। अभी तक सेना के तोपखाने में 17 किमी. रेंज वाली तोपें थीं। इन्हें बाहर करने की तैयारी है। इनकी जगह नई जनरेशन की तोपें आई हैं, जो 30 से 40 किमी. तक मार कर सकती हैं।
होवित्जर : ऊंचाई पर भी तैनाती
फायरिंग : एक मिनट में 5 राउंड
रेंज : 30-40 किमी
यह कठिन और ऊंचे इलाकों में आसानी से हेलिकॉप्टर से पहुंचाई सकती है। वहां इसका रखरखाव करना भी आसान है। यह सबसे हल्की तोपों में से एक है। इराक और अफगानिस्तान में अपनी ताकत दिखा चुकी है। इसका इस्तेमाल अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की सेना भी कर रही है। यह चीन और पाकिस्तान से लगते हुए ऊंचे पहाड़ी इलाकों में तैनात की जाएगी। 155 एमएम/39 कैलिबर की हल्की होवित्जर तोपें अमेरिका से ली जाएंगी। इसके हिस्से वहीं बनेंगे और असेंबल भारत में होगी। पहली M-777 होवित्जर सेना को मिल चुकी है। कुल 145 तोपें मिलनी हैं। आर्मी M-777 की सात रेजिमेंट बनाने जा रही है। हर रेजिमेंट में पांच तोपें होंगी। इसकी शुरूआत इस साल अगस्त से हो जाएगी और 24 महीने में प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
ATAGS : टेस्ट जारी है अभी
फायरिंग : 20 सेकंड में 5 राउंड
रेंज : 40 किमी.
तो पखाने की ताकत बढ़ाने के लिए ATAGS यानी एडवांस्ड टाउड आर्टिलरी गन सिस्टम का परीक्षण चल रहा है। 155 एमएम/52 कैलिबर की ATAGS तोप का डिजाइन डीआरडीओ ने बनाया है। इसका ट्रायल चल रहा है। ट्रायल में इस तोप ने 47.2 किलोमीटर की दूरी पर गोले दागे। असरदार रेंज 40 किलोमीटर है। यह 15-20 सेकंड में ही पांच राउंड फायर कर सकती है। फायरिंग की स्पीड, कौन सा गोला इस्तेमाल होगा, इस पर भी निर्भर है। इसका वजन कम है, इसलिए पहाड़ी इलाकों में आराम से ले जाई जा सकती है।
देसी बोफोर्स : रात में भी सटीक
फायरिंग : एक घंटे में 42 राउंड
रेंज : 38 किमी.
सेना के तोपखाने में 6 धनुष आर्टिलरी गन यानी देसी बोफोर्स शामिल हो गई हैं। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री दिसंबर तक 36 और धनुष बनाकर दे देगी। उम्मीद है कि 2020 तक सेना को 114 धनुष तोपें मिल जाएंगी। 155 एमएम/45 कैलिबर की ऑटोमेटिक धनुष तोप की तकनीक बोफोर्स जैसी है। धनुष मुश्किल से मुश्किल रास्तों या पहाड़ी रास्तों पर भी आसानी से चल सकती है। यह रात में भी सटीक निशाना लगा सकती है। टेक्नॉलजी ऐसी है कि एक टारगेट पर तीन से छह फायर कर सकती है। एक तोप एक घंटे में 42 राउंड फायर कर सकती है। वजन 13 टन से कम है। सभी मौसम में दुश्मन के होश उड़ा सकती है। धनुष तोप में एक कंप्यूटर है और यह स्वचालित है। यानी ऑटोमेटिक सिस्टम से तोप खुद ही गोला लोड कर उसे दाग सकती है।
K9 वज्र : ढोने की जरूरत नहीं
फायरिंग : 30 सेकंड में 3 गोले
रेंज : 38 किमी.
K9 वज्र सेना के तोपखाने में शामिल पहली सेल्फ प्रोपेल्ड गन है। यानी इसे ढोने के लिए किसी दूसरे वाहन की जरूरत नहीं पड़ती। यह खुद एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है। यह कमजोर जमीन पर धंसती नहीं है और टैंक के साथ-साथ आगे बढ़ती है। वेस्टर्न फ्रंट यानी पाकिस्तान बॉर्डर पर यह दुश्मन पर कहर ढा सकती हैं। सेना को 10 K9 वज्र तोपें मिल गई हैं। नवंबर तक 40 और मिल जाएंगी। बाकी 50 तोपें नवंबर 2020 तक मिल जाएंगी। 155 एमएम/52 कैलिबर की यह तोप 30 सेकंड में तीन गोले दाग सकती है। इसकी रेंज 38 किलोमीटर तक है। इसकी पहली रेजिमेंट इस साल जुलाई तक पूरी होने की उम्मीद है।