स्टेज पर डांस परफॉर्मेंस देने वाला निकला चोरों का साथी

स्टेज पर डांस परफॉर्मेंस देने वाला निकला चोरों का साथी

 नई दिल्ली 
दिल्ली के जंगपुरा इलाके से तीन बार कांग्रेस के विधायक रहे तरविंदर सिंह मारवाह के रिश्तेदार के घर सेंधमारी करने वाले चोरों का एक बड़े गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा है। पुलिस ने इस गिरोह के 8 सदस्यों को गिरफ्तार करके उनके पास से काफी मात्रा में चोरी का सामान बरामद किया है। पकड़े गए आरोपियों में से एक प्रफेशनल डांसर भी है और एक डांस ग्रुप के साथ मिलकर स्टेज परफॉर्मेंस करता है। वहीं गिरोह का लीडर भलस्वा डेरी इलाके का घोषित बदमाश है। इन लोगों की गिरफ्तारी से चोरी के 4 और केस भी सॉल्व हो गए हैं। 
 
डीसीपी (साउथ-ईस्ट) चिन्मय बिश्वाल के मुताबिक, गिरोह के लीडर की पहचान भलस्वा डेरी इलाके की श्रद्धानंद कॉलोनी के रहने वाले दीपक उर्फ दीपू उर्फ अजय (30) के रूप में हुई, वहीं डांसर अरुण कुमार (23) मालवीय नगर इलाके का रहने वाला है। बाकी पांचों गिरफ्तार आरोपियों की भी पहचान हो गई है। इनके पास से पुलिस ने करीब 10 लाख रुपये की गोल्ड जूलरी, बाइक और चोरी की रकम से खरीदी गई स्कॉर्पियो गाड़ी के अलावा चोरी के दौरान काम आने वाला सामान भी जब्त किए हैं। जांच में पता चला कि इन लोगों ने हजरत निजामुद्दीन, सीमापुरी और बुराड़ी इलाके में चोरी की 4 और बड़ी वारदातों को अंजाम दिया था। 
 
डीसीपी ने बताया कि गिरोह के लीडर दीपक के खिलाफ 22 केस दर्ज हैं, अरुण के खिलाफ 11, हर्ष के खिलाफ 26, कप्तान के खिलाफ 28, अंकित के खिलाफ 13 और विशाल व आकाश के खिलाफ दो-दो आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन लोगों ने दिल्ली के तमाम इलाकों में चोरी के अलावा स्नैचिंग और लूटपाट की वारदातों को भी अंजाम दे रखा था। इसके अलावा ऑर्म्स ऐक्ट के केस भी इनके खिलाफ दर्ज हैं। पुलिस के मुताबिक, रविवार को इन लोगों ने जंगपुरा इलाके में रहने वाले अजमरजीत सिंह मारवाह के घर में चोरी की वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने केस दर्ज कर छानबीन की और इस गिरोह को दबोच लिया। 

करते थे बिना IMEI नंबर वाले मोबाइल का इस्तेमाल 
इस केस की जांच में एक चौंकाने वाली बात पुलिस को पता चली। डीसीपी चिन्यम बिश्वाल ने बताया कि दीपू ने दो चाइनीज मोबाइल फोन खरीद रखे थे, जिनमें आईएमईआई नंबर नहीं थे। इन फोन्स का इस्तेमाल चोरी की वारदातों के दौरान वॉकी टॉकी के रूप में किया जाता था। इन दोनों फोन से किसी और फोन पर कॉल नहीं की जाती थी। केवल दीपू वारदात के दौरान अपने साथियों से संपर्क बनाए रखने और उन्हें जरूरी इंस्ट्रक्शंस देने के लिए इनका इस्तेमाल करता था। वारदात के बाद वह फोन अपने पास जमा करवा लेता था।