हड़ताली डॉक्टरों के बीच नक्सल प्रभावित बस्तर बना मिसाल, विरोध के साथ जारी है इलाज

रायपुर
पश्चिम बंगाल में जूनियर डाक्टर हमले के विरोध में देश भर में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन द्वारा हड़ताल की जा रही है. जूडा की इस हड़ताल का असर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में देखने को मिल रहा है. हड़ताल के तहत सोमवार को सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है. ओपीडी बंद करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन हड़ताली डॉक्टरों के बीच नक्सल प्रभावित जिले बस्तर में एक मिसाल देखने को मिल रही है.
बस्तर के सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर से मारपीट का विरोध तो किया जा रहा है, लेकिन इसका असर किसी मरीज पर नहीं हुआ है. अस्पताल पहुंच रहे मरीजों का इलाज पहले की तरह ही किया जा रहा है. सुबह 8 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक ओपीडी खोलने और डाक्टरों द्वारा इलाज करने का निर्देश स्थानीय शासकीय महारानी अस्पताल के अधीक्षक ने जारी किया है. इसका असर भी देखने को मिल रहा है.
रविन्द्र सेठिया का कहना था कि एक दुर्घटना में उन्हें चोट लग गई थी, उसका इलाज कराने वे पहुंचे हैं. पद्मावति कश्यप और कुलेश्वरी नाग ने बताया कि बुखार होने के कारण वो अस्पताल पहुंची थीं. डॉक्टर ने उन्हें देखा और दवाइयां दीं. हालांकि अस्पताल के ड्रेसिंग रूम में कोई नजर नहीं आया.
महारानी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विवेक जोशी ने बताया कि महारानी अस्पताल की ओपीडी को सुबह से नियमित समय पर ही खोला गया है. सभी डॉक्टर डूयूटी कर रहे हैं. कोई डॉक्टर हड़ताल पर नहीं है और मरीजों का इलाज किया जा रहा है. बस्तर के सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र नाग ने दावा किया है कि बस्तर के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आम दिनों की तरह ही मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिया जा रहा है.