जिला न्यायालय परिसर कोरबा में राष्ट्रीय एकता दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

कोरबा 
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर छ.ग. के निर्देशानुसार 31 अक्टूबर 2018 को भारत के लौह पुरूष स्व. श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें श्री राकेश बिहारी घोरे, जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोरबा के  द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि मनुष्य को अपने अंतकरण में स्वर्स्फूत एकता होनी चाहिये। किसी भी समूह में वही आदमी शामिल हो सकता है जिसका आचरण, व्यवहार एवं अंतकरण शुद्ध हो।  आज के परिवेश में दो व्यक्ति के बीच सद्भाव नहीं देखने को मिलता है, इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि आज व्यक्ति में  सहनशीलता की कमी हो रही है, उसे दूसरो की गलती ही दिखाई देती है जिसके कारण आज भारत में संयुक्त परिवार भी कम देखने को मिल रहा है।

जिससे राष्ट्रीय एकता में कमी आ रही है। इसके लिये आवश्यक है व्यक्ति को उनके द्वारा किये गये कार्य एवं व्यवहार का समय निकाल कर आत्म अवलोकन करना चाहिये। इससे यह होगा कि उनके द्वारा किये गये गलती समझ में आयेगा। जब गलती समझ में आयेगा तो उसे गलती सुधारने का अवसर होगा इससे दो व्यक्ति के बीच में सद्भाव होगी। यह सद्भाव एकता का प्रथम कड़ी है, जब आपके परिवार में एकता होगी, तो समाज में एकता होगी, समाज में एकता होगी तो राज्य में एकता होगी, और राज्य में एकता होगी तो राष्ट्र में भी एकता होगी। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के द्वारा देश को हमेशा एकजुट करने के लिये अनेकों प्रयास किया गया जिनके लिये हमें इनकी कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहिये।

उक्त अवसर पर परिवार न्यायालय के न्यायाधीश श्रीमती सुमन एक्का, विशेष न्यायाधीश, श्री योगेश पारीक, ए.डी.जे. प्रवीण प्रधान, हिमांशु जैन, मुख्य न्यायिक मजि. उर्मिला गुप्ता, व्यवहार न्यायाधीशगण गितेश कौशिक, सीमा चन्द्राकर, दीप्ती लकड़ा, शीलू केशरी एवं प्रशिक्षु न्यायाधीश श्री दामोदर चन्द्रा एवं रूचिता अग्रवाल उपस्थित थी।

कु. सीमा जगदल्ला, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। उनके द्वारा कहा गया कि किसी भी देश का आधार उसकी एकता एवं अखण्डता में ही निर्हित होता है देश का विकास शांति, समृद्धि एवं अखण्डता एवं एकता के कारण ही संभव है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था न्याय प्रणाली यह सभी चीजे तब सुचारू हो सकेगी जब आवाम में एकता हो। और जिस दिन यह व्यवस्था सुचारू होगी उस दिन देश के विकास में कोई कठिनाई नहीं होगी।