कोसोवो बॉक्सर को वीजा नहीं 

कोसोवो बॉक्सर को वीजा नहीं 

 
नई दिल्ली

खेल के बड़े इवेंट्स हर देश अपने यहां करवाना चाहता है। भारत भी इनमें से एक है, लेकिन एक बॉक्सर का ताजा मामला आने वाले दिनों में भारत के लिए बड़े इवेंट की मेजबानी मिलने में मुश्किल खड़ी कर सकता है। दरअसल, भारत इस वक्त एआईबीए विमिंज वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटा है, लेकिन इवेंट से ज्यादा चर्चा में कोसोवो देश की चैंपियन डोनजीटा साडिकू हैं। दरअसल, उन्हें भारत में आयोजित टूर्नमेंट के लिए वीजा नहीं मिला है। पिछले एक साल से भी कम वक्त में भारत इस बॉक्सर को दूसरी बार वीजा देने से मना कर चुका है। 
 
भारत के इनकार करने के पीछे बॉक्सर वजह नहीं है। दरअसल, बॉक्सर का देश यानी 'कोसोवो' साउथ-ईस्टर्न यूरोप में एक विवादित क्षेत्र है। भारत उसको मान्यता नहीं देता, इसलिए अब साडिकू और उनके दो कोचों को वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप, जो दिल्ली में हो रही है, के लिए वीजा नहीं दिया। भारत का कोसोवो में कोई दूतावास नहीं है और 19 साल की साडिकू के पास अलबेनिया की भी नागरिकता है, इसलिए उन्होंने साइबेरिया में मौजूद दूतावास में वीजा के लिए आवेदन दिया था। तीनों में से किसी के वीजा मंगलवार शाम तक मंजूरी नहीं मिली थी। 

बता दें कि इससे पहले 2017 में भी भारत ने साडिकू को वीजा नहीं दिया था, जिस वजह से वह दिसंबर में गुवाहाटी में हुई वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाई थीं। कोसोवो हाल में बना एक देश है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के कुल 193 देशों में से 113 ही मान्यता देते हैं। फिलहाल भारत उसे मान्यता न देने वालों की लिस्ट में शाामिल है। 

भारत निकट भविष्य में वर्ल्ड यूथ ओलिंपिक की मेजबानी चाहता है, लेकिन साडिकू को वीजा नहीं देना दावे को कमजोर कर सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इंटरनैशनल ओलिंपिक कमिटी ने खुद कोसोवो को 2014 में मान्यता दी है। वह अब चाहता है कि किसी भी बड़े इवेंट्स की मेजबानी उसी देश को मिले, जो सभी देशों (कोसोवो देश सहित जो भी सदस्य हैं) की हिस्सेदारी को तय कर सके। अगर कोई ऐसा नहीं करता है तो उसे मेजबानी मिलनी मुश्किल है। 

इस बारे में बीएफआइ के प्रेजिडंट अजय सिंह ने बताया, 'हमने इस मामले को विदेश मंत्रालय के सामने उठाया है। मुझे नहीं लगता है कि इस वजह से टूर्नमेंट पर कोई आंच आएगी। यह एक ग्लोबल मामला है, क्योंकि सिर्फ भारती ही नहीं कई ऐसे देश हैं, जो कोसोवो पर ध्यान नहीं देते। आईओसी इस मामले पर सभी सदस्य देशों के साथ मिलकर रास्ता निकालेगा। भारत को ब्लैकलिस्ट करना रास्ता नहीं है।' 

दूसरी ओर आईओसी प्रेजिडंट ने खेल को राजनीति से अलग रखने की बात करते हुए कहा, 'भारत को राजनीति से खेल अलग रखने में सक्षम होना चाहिए। यदि मध्य पूर्व देश इजराइल से ऐथलीटों का स्वागत कर सकते हैं, तो भारत (कोसोवो के बॉक्सर का स्वागत) क्यों नहीं कर सकता?' खेल सचिव राहुल भटनागर ने स्वीकार किया कि आईओसी ने इस मामले को एमईए के सामने उठाया है। उन्होंने कहा कि हमें एक लेटर आईओसी सचिव राजीव मेहता से मिला, लेकिन इस मामले पर एमईए ने इस कोई जवाब नहीं दिया। यह डिप्लोमेट (राजनयिक) का मामला है और खेल इस मामले में कोई दखल नहीं दे सकता है।