बाल अपराध रोकने और बाल अपराधी बनने के कारणों का पता लगाना पुलिस की जिम्मेदारी है : डी.जी.पी. उपाध्याय

बाल अपराध रोकने और बाल अपराधी बनने के कारणों का पता लगाना पुलिस की जिम्मेदारी है : डी.जी.पी. उपाध्याय

रायपुर
छत्तीसगढ़ पुलिस (अपराध अनुसंधान विभाग) और यूनिसेफ के संयुक्त तत्ववधान में ‘‘बाल हितैषी पुलिसिंग‘‘ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ आज पुलिस महानिदेशक श्री ए.एन.उपाध्याय ने किया। श्री उपाध्याय ने कहा कि पुलिस का दायित्व बाल अपराधों को रोकने के साथ-साथ यह भी पता लगाना है कि बच्चा अपराधी कैसे बना, इसके लिये कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार हैं ? उन्होंने कहा है कि भारतीय समाज में जैसे-जैसे परिवर्तन होते है उसी प्रकार समय-समय पर नियम और कानून बनाये जातें है। बच्चों की देख-रेख ज्यादातर समय उनके परिवार में होती है। 

बच्चों के माता-पिता, अभिभावक और स्कूल जाने की स्थिति में स्कूल शिक्षक सही ढ़ंग से बच्चों के प्रति संवेदनशील हो तो बालक अपराध की और आकर्षित नहीं होगा। श्री उपाध्याय ने इस कार्यशाला आयोजन के सफलता पर आशा व्यक्त किया कि बाल अपराध विषय के विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों के विचार-विमर्श पश्चात् महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होंगे उनका समावेश पाठ्यक्रम के रूप में छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी एवं पुलिस के प्रशिक्षण संस्थाओं में लागू किया जाएगा।

 कार्यशाला में विशेष पुलिस महानिदेशक श्री आर.के.विज ने कहा कि पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सभी जिले के पुलिस अधिकारियों को पुलिस अकादमी में 15-15 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण विशेष तौर पर बाल अपराध की रोकथाम, पॉस्को एक्ट और जे.जे. एक्ट में किये गये प्रावधानों को समझने और उसके क्रियान्वन विषय पर था। सरकार द्वारा बच्चों से संबंधित मामलों की विवचेना के लिए एक्ट में सभी प्रावधान किये गये हैं, जिससे कि एक पुलिस अधिकारियों को क्या करना है और क्या नहीं करना है। उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी को यह भी जानना आवश्यक है कि बाल संरक्षण गृह में समय व्यतीत करने के बाद बच्चा फिर अपने समाज में जायेगा तब वह कैसा अनुभव करेंगा। कहीं उसका मानसिक विकास बाधित न हो इसलिए प्रत्येक पुलिस अधिकारियों को बच्चों के प्रति विवेचना करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि उसे स्वयं के बच्चे की भावना के अनुरूप कार्य करना है।

    कार्यशाला में कर्नाटक के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री राघवेन्द्र ने अपने राज्य में पुलिस को बाल हितैषी क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के संबंध में किये गये कार्याें का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। ओडि़शा पुलिस के पुलिस अधीक्षक (सी.आई.डी.) श्री आर.बी.पाणिग्रही ने वहां बाल अपराध एवं हिंसा के विरोध में चलाये जा रहे कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी दी। कार्यशाला में महासुमन्द जिला पुलिस द्वारा प्रकाशित पुस्तिका ‘‘टूवाडर््स चाइल्ड फ्रेण्डली डिस्ट्रिक्ट महासमुन्द‘‘ का विमोचन किया गया।

    अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री अरूण देव गौतम और उप पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती नेहा चंपावत के मार्ग दर्शन में इस तीन द्विवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ सहित नौ राज्यों से आये विशेषज्ञ और पुलिस के अधिकारी अपने विचार व्यक्त करेंगे। इस अवसर पर पुलिस विभाग के उप पुलिस महानिरीक्षक श्री एस.सी.द्विवेदी, यूनिसेफ के छत्तीसगढ़ प्रमुख श्री प्रशांत दास, दुर्ग और महासमुन्द जिले पुलिस अधीक्षक सहित पुलिस मुख्यालय के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थें। कार्यक्रम का संचालन पुलिस अधीक्षक अपराध अनुसंधान विभाग श्री एम.एन.पाण्डेय ने किया।