सफेद साड़ी को 'सेक्सी' बनाने का काम बस राज कपूर ही कर सकते थे...

तीन नेशनल अवॉर्ड्स. 11 फिल्मफेयर ट्रॉफी. पद्म भूषण और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड, फिर भी राज कपूर को सफलता के इन आंकड़ों में बांधा नहीं जा सकता. उन्हें याद करने के लिए किसी एक फिल्म का जिक्र नहीं किया जा सकता. उन्हें जानने-समझने के लिए 24 साल के उस लड़के के पास जाना होगा, जो इसी उम्र में एक बड़ा फिल्म डायरेक्टर बन गया था. वो लड़का, जिसने खुद को फिल्ममेकिंग का एक ऐसा स्कूल बना लिया, जहां पढ़ने के लिए एडमिशन लेने की जरूरत नहीं थी. जो इसके करीब आता, कुछ न कुछ सीखकर जाता. आज ही के दिन सन् 1924 में पाकिस्तान के पेशावर में पैदा हुए थे राजकपूर...वह जब इस दुनिया से गए तो शोमैन बनकर गए. उनका शो आज भी जारी है...
शुरुआत में राज कपूर संगीतकार बनना चाहते थे लेकिन फिर सब कुछ बन गए- प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और एक्टर और संगीत के निर्माण के दौरान उनकी खास रुचि रहती. वो अक्सर अपने संगीतकारों के काम में दखल देते और राज कपूर के साथ कई फिल्मों में संगीत देने वाले शंकर जयकिशन की जोड़ी ने एक इंटरव्यू में बताया था. राज अक्सर रिकॉर्डिंग सेशन, लिरिक्स सिटिंग का हिस्सा होते और वो खुद अपनी फिल्मों की धुन चुनते और उनकी चुनी धुनें कमाल की रही हैं.
24 साल की उम्र से फिल्म 'आग' के निर्देशन के साथ ही राज बॉलीवुड के उस समय के सबसे युवा फिल्म निर्देशक बनकर सामने आए.
1948 में उन्होंने आर.के स्टूडियो बनाया. इस स्टूडियो की पहली हिट फिल्म थी 'बरसात'. इस फिल्म में उनका और नरगिस का एक सीन इतना पसंद किया गया कि बाद में वही आर.के फिल्म्स का लोगो भी बना.
कम ही लोग जानते हैं कि राज कपूर का असली नाम रणबीर था, जो कि अब उनके पोते का नाम है.