अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में बडा घोटाला, 6.7 लाख से अधिक आवेदक फर्जी
नई दिल्ली, केंद्र सरकार की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना के लिए राज्यों से सत्यापित 25.5 लाख आवेदकों की जांच से चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। आधार बेस्ड बायोमेट्रिक सर्टिफिकेशन किए जाने पर 6.7 लाख से अधिक आवेदक फर्जी पाए गए, जो नकली लाभार्थियों से जुड़े घोटाले की ओर इशारा करते हैं। जांच में यह भी पता चला है कि आवेदनों के सत्यापन के लिए जिम्मेदार 1 लाख से अधिक संस्थागत नोडल अधिकारियों (आईएनओ) और संस्थानों के प्रमुखों (एचओआई) में से 5,422 आईएनओ और 4,834 एचओआई गायब पाए गए।
2022-23 में स्कॉलरशिप रीन्यू करवाने वाले 30% आवेदक फर्जी
केंद्र सरकार का अल्पसंख्यक मंत्रालय अल्पसंख्यकों के लिए छात्रवृत्ति योजना चलाता है। उसी ने वेरिफिकेशन का अभियान छेड़ा। इस अभियान में कुल 18.8 लाख आवेदक सही पाए गए, जिनमें स्कॉलरशिप रीन्यूअल का आवेदन देने वाले 6.2 लाख आवेदक भी शामिल हैं। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, जांच से पता चला है कि केवल 2022-23 में स्कॉलरशिप रीन्यू करवाने वाले 30% आवेदक फर्जी पाए गए। 2021-22 में मंत्रालय को 30 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 9.1 लाख रीन्युअल के लिए थे।
कैसे होती है आवेदनों की छंटनी
नियम के तहत, संस्थागत नोडल अधिकारी से सत्यापन के बाद जिला स्तर के नोडल माइनॉरिटी अफसर का अनुमोदन और उचित प्रमाणन मिलने के बाद ही आवेदक को छात्रवृत्ति के योग्य माना जाता है। अनुमोदन मिलने के बाद लाभार्थियों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से स्कॉलरशिप की रकम दी जाती है।
21 राज्यों के 1,572 अल्पसंख्यक संस्थानों में से 830 के पास फर्जी लाभार्थी
अल्पसंख्यक मंत्रालय जांच में लापता पाए गए लाभार्थियों, नोडल अधिकारियों और संस्थानों के प्रमुखों को लेकर प्राप्त सूचनाओं को सीबीआई के साथ साझा करेगा। सीबीआई पहले से ही अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में गंभीर अनियमितताओं के आरोपों की जांच कर रही है। स्कॉलरशिप पोर्टल पर रजिस्टर्ड 21 राज्यों के 1,572 अल्पसंख्यक संस्थानों की जांच में खुलासा हुआ था कि उनमें से 830 के पास फर्जी लाभार्थी थे। मंत्रालय ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इन संस्थानों में रजिस्टर्ड लाभार्थियों को विभिन्न श्रेणियों में 2017-18 और 2021-22 के बीच लगभग 145 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप दी गई।
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में घोटाले कई राज्यों में
नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की जांच में पता चला है कि अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में घोटाले कई राज्यों में हुए हैं। मंत्रालय ने जुलाई में सीबीआई को अल्पसंख्य छात्रवृत्ति घोटाले का केस सौंप दिया, साथ ही डेटाबेस की जांच जारी रखी और 2022-23 के लिए आवेदकों की वास्तविकता को सत्यापित करने के लिए एक विशेष अभियान के तहत बायो ऑथेंटिकेशन किया।
25.5 लाख आवेदकों में 5.7 लाख लापता पाए गए
राज्यों से सत्यापित 25.5 लाख आवेदकों की जांच करने के अभियान के पहले चरण में 19.8 लाख आवेदकों ने अपना बायोमेट्रिक सर्टिफिकेशन किया और शेष 5.7 लाख लापता पाए गए। इंस्टिट्यूशन नोडल अफसरोंं के साथ-साथ जिला और राज्य नोडल अधिकारियों के स्तर पर सर्टिफिकेशन में सत्यापित आवेदकों की संख्या घटकर 18.8 लाख हो गई।
मंत्रालय छात्रवृत्ति के लिए सालाना 2,000 करोड़ रुपये से अधिक जारी करता है
मदरसों से लेकर नामी-गिरामी प्राइवेट और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों तक 1.8 लाख संस्थान हैं जो अल्पसंख्यक छात्रों के लिए स्कॉलरशिप पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की राशि 4,000 रुपये से लेकर 25,000 रुपये सालाना तक होती है। मंत्रालय छात्रवृत्ति के लिए सालाना 2,000 करोड़ रुपये से अधिक जारी करता है।