चुनाव प्रचार हुआ हाईटेक, सिमटता जा रहा बैनर, पम्पलेट्स, बैज, टोपी, गमछा, पेन, स्टीकर आदि का उपयोग
इलेक्शन सामग्री में बदलाव, हर चीज रेडीमेड उपलब्ध
भोपाल। हाईटेक चुनाव प्रचार के दौर में झंडे-बैनर जैसी प्रचार साम्रगियों का कारोबार सीमित होता जा रहा है। अब झंडे-बैनर और बैज मनचाही मात्रा में आसानी से उपलब्ध है जबकि पहले इनके लिए महीनों पहले बुकिंग करना पड़ती थी। अब 3डी और 2डी प्रिंटेड झंडे बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। उसमें भी अधिकतर प्रचार सामग्री प्रमुख पार्टियों के मुख्यालय से आ रहीं हैं।
हर उम्मीदवार मोबाइल और सूचना तंत्र के माध्यमों पर फोकस करना चाहता है
लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों में हर राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा झंडे का इस्तेमाल करती है। बैनर, पम्पलेट्स, बैज, टोपी, गमछा, पेन, स्टीकर आदि का उपयोग होता है। लेकिन इनका उपयोग सिमटता जा रहा है। अब सोशल मीडिया की धूम है। हर उम्मीदवार मोबाइल और सूचना तंत्र के माध्यमों पर फोकस करना चाहता है। प्रचार सामग्री चंकि माहौल बनाने में काम आती है इसलिए उपयोग मैदानी कार्यों तक सीमित रह गया है।
पहले और अब में बड़ा अंतर
प्रचार सामग्री विक्रेताओं ने बताया कि पहले और अब में बड़ा अंतर आ गया है। पहले झंडे और बैनर बनवाने के लिए कारीगरों को हायर करना पडता था। यहां तक उनका खाना-पीना भी यही होता था। अब समय बदला है। अब प्रिंटेड झंडे आने लगे हैं। ऑफसेट मशीनों में उनकी छपाई होती है। जो आकार चाहिए, वह मिल जाता है। प्रचार सामग्री आधुनिकता के रंग में रंग गई है। चटक कलर और मुलायम कपड़े वाले झंडे हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं। पट्टा रूपी गमछा की कीमत 200 रुपए तक है। बाजार में कुछ ही जगहों पर इनकी बिक्री होती है। झंडा की कीमत 5 से 150 रुपए तक है। टोपी 5 से 25 रुपए में बिकती है, स्टीकर भी 5 से 20 रुपए में मिल रहा है। मुख्य पार्टियों के झंडे सबसे ज्यादा आते हैं। प्रिंटर्स इन्हें ज्यादा बनाते हैं। निर्दलीयों के लिए झंडा रेडीमेड नहीं मिलता। उन्हें उम्मीदवारों के हिसाब से तैयार करवाना पड़ता है। उनके चुनाव चिन्हों का छापा भी बनाना पड़ता है।