ज्ञानवापी: मस्जिद के चप्पे-चप्पे का सर्वे होगा, नहीं हटेंगे कोर्ट कमिश्नर, विरोध विरोध करने वालों पर होगा केस
विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को विशेष कमिश्नर नियुक्त किया गया
suresh gandhi
वाराणसी, ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद में जिला अदालत ने बड़ा आदेश दिया है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर के साथ दो नए वकील भी जोड़े हैं। अदालत ने साथ ही पूरे मस्जिद परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जबतक मस्जिद के कमिशन की कार्रवाई पूरी नहीं होती है तब तक सर्वे जारी रहेगा। 17 मई को सर्वे की रिपोर्ट को कोर्ट में सौंपना होगा। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के चप्पे-चप्पे का सर्वे होगा। कोर्ट ने इस कार्रवाई को सख्ती के साथ पूरी करने का आदेश दिया है।
नहीं हटेंगे कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा
कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों को झटका देते हुए आदेश दिया कि कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नहीं हटाया जाएगा। यही नहीं, मस्जिद में सर्वे का काम 17 मई से पहले पूरा किया जाएगा। 56 ( ग ) के आधार पर मुस्लिम पक्षकारों ने कोर्ट कमिश्नर को बदलने की की थी मांग जिसे सिविल जज ने खारिज किया। 61 ( ग) के आधार पर मस्जिद के अंदर सर्वे का मुस्लिम पक्ष ने किया था विरोध।
विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह दो और सहायक कमिश्नर नियुक्त
अदालत ने जहां मुस्लिम पक्ष की कोर्ट कमिश्नर की मांग को खारिज करते हुए दो और विशेष कमिश्नर नियुक्त किया है। विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को विशेष कमिश्नर नियुक्त किया गया है। विशाल सिंह की गैर मौजूदगी में अजय प्रताप होंगे सहायक कमिश्नर।
सुबह 8-12 बजे होगा मस्जिद का सर्वे
कोर्ट ने आदेश दिया है कि कमीशन की कार्रवाई सुबह 8-12 तक होगी। कोर्ट ने कहा है कि मस्जिद के चप्पे-चप्पे का सर्वे होगा। कोर्ट ने कहा है कि जो विरोध करेगा उसपर कार्रवाई करना होगा।
विरोध करने वालों पर जिला अधिकारी को मुकदमा करने का आदेश
इससे पहले ज्ञानवापी मामले के सर्वे का विरोध करने वाले लोगों पर केस दर्ज किया जाएगा। कोर्ट ने जिला अधिकारी को ऐसे लोगों पर मुकदमा करने का आदेश दिया है।
जस्टिस रवि कुमार दिवाकर ने सुनाया फैसला
श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच परिसर के तहखाने में भी सर्वे और वीडियोग्राफी कराने पर सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत में बुधवार को तीसरे दिन सुनवाई पूरी हो गई थी। अदालत ने 12 मई यानी आज के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत के आदेश से ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र को बदलने की अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी की अर्जी पर सुनवाई के दौरान कचहरी परिसर पुलिस छावनी में तब्दील रहा। संबंधित कोर्ट से लेकर पूरे परिसर में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात रहा।
कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र को बदलने की थी मांग
इससे पहले दो घंटे तक चली सुनवाई में वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने कोर्ट कमिश्नर बदलने पर आपत्ति के साथ इस बात पर जोर दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में भी सर्वे और विडियोग्राफी होनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने पूर्व में भी अपील की थी, जिसके संदर्भ में सर्वे कमीशन का आदेश जारी है। उन्होंने कहा कि मस्जिद के तहखाने के सर्वे और वीडियोग्राफी से ही पता चलेगा कि अंदर मस्जिद है या मंदिर और शृंगार गौरी के अलावा अन्य विग्रह हैं या नहीं। ऐसे में अदालत सर्वे कमीशन को तहखाने तक पहुंचाने में मदद करने का शासन-प्रशासन को आदेश दे।
अब तक सर्वे की कार्यवाही वादी पक्ष के इशारे पर
उधर, विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव और अन्य ने मस्जिद परिसर में सर्वे कराए जाने का विरोध करते हुए कहा कि वादी के आवेदन पर बीते 19 मार्च को शासकीय अधिवक्ता ने आपत्ति दाखिल की थी कि सर्वे मस्जिद का नहीं, बल्कि शृंगार गौरी के साथ मंदिर से संबंधित साक्ष्य के संबंध में होना है। इससे स्पष्ट है कि मस्जिद और शृंगार गौरी अलग-अलग है। वाद में भी मस्जिद के सर्वे की बात नहीं कही गई है। इसलिए ज्ञानवापी मस्जिद या उसके अंदर विडियोग्राफी का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि जब अदालत मान रही है कि मस्जिद का सर्वे नहीं करना है तो मस्जिद की बात क्यों हो रही है ? आरोप लगाया कि कोर्ट कमिश्नर ने अब तक सर्वे की कार्यवाही वादी पक्ष के इशारे पर की है। ऐेसे में उनका मंतव्य सर्वे से ज्यादा मस्जिद के अंदर प्रवेश करने को लेकर है।
खुद अदालत कमिशन की कार्यवाही पूरी करवाए
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और वादी पक्ष के अधिवक्ता सुनवाई में इस बात पर सहमत रहे कि कोर्ट कमिश्नर की जगह खुद अदालत (सिविल जज) मौके पर चले और कमिशन की कार्यवाही पूरी करवाएं। अंजुमन के वकील अभय नाथ यादव ने कहा कि ' यह कोर्ट मेरे लिए मंदिर है। मैं जज में भगवान को देखता हूं।' वादी राखी सिंह के वकील शिवम गौड़ ने बहस करते हुए कहा कि कोर्ट कमिश्नर बदलने की अर्जी अदालत को भटकाने का प्रयास है। अदालत जिला प्रशासन को मस्जिद के तहखाने का ताला खुलवा कर प्रवेश और सर्वे करने का आदेश दे। यदि विपक्षी को कोर्ट कमिश्नर की कार्यवाही पर विश्वास नहीं है तो अदालत कमिशन की कार्यवाही करवाएं। जरूरत पड़े तो कोआर्डिनेशन कमिटी गठित की जाए।
क्या है पूरा विवाद
18 अगस्त 2021 को कोर्ट में शुरू हुए इस विवाद के वादियों का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि विश्वेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं। ये सभी देवी-देवता प्लॉट नंबर 9130 पर मौजूद हैं जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से सटा है। वादी पक्ष की कोर्ट से मांग है कि मस्जिद की इंतजामिया कमिटी इन मूर्तियों को नुकसान न पहुंचाए। साथ ही हिंदू लोगों को यहां दर्शन-पूजन की इजाजत मिले।
हिंदू पक्ष की याचिका में यह मांग भी की गई थी कि एक कमीशन गठित करके कोर्ट मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की मौजूदगी को सुनिश्चित करे। इसे लेकर ही कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर अदालत ने मस्जिद परिसर की कथित वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया था।
मुस्लिम पक्ष पक्ष का कहना
मुस्लिम पक्ष हिंदुओं के इस दावे को सिरे से खारिज करता है। मुस्लिम पक्ष के वकील अभय यादव ने कहा कि हम यह मानते हैं कि श्रृंगार गौरी की प्रतिमा है लेकिन वह मस्जिद की पश्चिमी दीवार के बाहर है। ऐसे में मस्जिद में जाकर सर्वे की जरूरत ही नहीं है। वह यह भी कहते हैं कि कोर्ट ने मस्जिद के अंदर जाकर सर्वे करने का कोई ऑर्डर नहीं दिया है। उन्होंने श्रृंगार गौरी मंदिर की मौजूदगी वाले प्लॉट नंबर 9130 की स्थिति पर भी सवाल उठाया है और कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इसका कोई मैप भी कोर्ट में जमा नहीं किया है।