देवगांव के संगम स्थल पर मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष...
देवगांव के संगम स्थल पर मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष
बताई गई मोटे अनाज की खूबियां
मंडला - भारत सरकार के अथक प्रयास के बाद मिलेट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली है जिसके तहत इस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है । इसी तारतम्य में मोहगांव विकासखंड के देवगांव में मध्यप्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं प्रदान संस्था के संयुक्त तत्वाधान में देवगांव ग्राम के संगम स्थल पर अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मनाया गया। इसमें बड़ी संख्या में समूह की दीदियों ने भाग लिया इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने मिलेट्स मोटे अनाज के उपयोग खेती के गुण बताएं कोदो कुटकी को विश्व स्तर पर नई पहचान के बाद इस फसल का मूल्य काफी बढ़ गया है।
मोहगांव विकासखंड 'के ग्राम देवगांव के संगम स्थल पर मिलेट्स वर्ष 2013 के कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मेहंदवानी की विनीता नामदेव ने बताया कि कोदो - कुटकी की खेती से उनके जीवन पर काफी बदलाव आया है। इनसे नमकीन, बिस्किट, चकोली, पापड़, पुलाव, बीर इडली, डोसा जैसे व्यंजन काफी स्वादिष्ट बनते है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक होते है। इनका स्वयं सहायता समूह, तेजस्वती नारी चेतना में 30-35 महिला काम कर रही है।
सौरभ उपाध्याय कोदो, कुटकी, रागी के उपयोग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में ये खत्म की कगार पर है। पहले इसी अनाज का उपयोग किया जाता था। इसे रसोई से बाहर कर दिया गया। आज इसके संरक्षण की बात की जा रही है। मोटा अनाज कहकर जिसे रसोई से बाहर कर दिया गया था वो आज वैज्ञानिक इसके इस्तेमाल के लाभ व औषधीय रूप के गुण बता रहे है और उत्पादन बढ़ाने की बात हो रही है। आज के दौर में बहुत कम लोग ही कोदो, कुटकी, रागी को जानते है इसलिए इसके उत्पादन को बढ़ावा देने की बात हो रही हो। महिलाएं कुपोषण का शिकार है इसलिए एनआरएलएम के माध्यम से महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है ताकि वह खुद के स्वास्थ्य की चिंता करे और कोदो - कुटकी के उत्पाद का इस्तेमाल करें। इससे स्वास्थ्य के साथ - साथ आय में भी वृद्धि होगी क्योंकि कोदो - कुटकी का बाजार मूल्य अधिक है।
डीपीएम बी. डी. भैसारे ने कहा कि मोटा अनाज कोदो कुटकी पर काम करेंगे तो स्वास्थ्य के साथ ही आमदानी पर भी असर पड़ेगा। मिलेट्स वर्ष मनाने का उद्देश्य यही है कि हम कोदो - कुटकी जो परंपरागत फसल है उसका उत्पादन करना है जो विषरहित फसल है। पूरी दुनिया में लोग आज इसका उपयोग कर रहे है।
बुढनेर संघ की दीदीयों द्वारा एक नुक्कड नाटक का मंचन किया गया। इसके माध्यम से कोदो कुटकी की फसल के बारे में ग्रामीण परिवेश दर्शाते हुए इसके महत्व को बताया गया और कि मोटे अनाज को लेकर नई पीढ़ी को जागरूक करने का आवाहन किया गया। बीएम मुकेश नंदा ने उपस्थित लोगों से कहा कि वो कार्यक्रम से यह संकलप लेकर अपने घर जाए कि वो मोटे अनाज का उत्पादन करेंगे।
इस कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य शिव पुसाम, वित्तीय साक्षरता सलाहकार कृष्ण कुमार अवस्थी, आरसेटी डायरेक्टर, प्रणीता पचौरी (कृषि विभाग), राजकुमार यादव, नीरज द्विवेदी, निशांत तिवारी कमलेश पाल, भुवनेश डेहरिया, बीसीएफ़एल, श्रीकांत, प्रदान संस्था के समस्त कर्मचारी और सभी समूह की दीदीयां बड़ी संख्या में उपस्थित थी।