अयोध्या, मथुरा और बनारस में मुस्लिमों को पूजा स्थलों से अपना अधिकार छोड़ देना चाहिए: केके मोहम्मद
भोपाल। आगरा के ताजमहल और बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद पर पद्मश्री केके मोहम्मद का बड़ा बयान सामने आया है। एएसआइ के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक पद्मश्री केके मोहम्मद ने कहा है कि ताजमहल जैसा स्ट्रक्चर हमारे यहां के मंदिरों में नहीं रहा, वहां कोई मंदिर नहीं था। उन्होंने अयोध्या, मथुरा और बनारस में पूजा स्थलों पर भी अहम बयान दिया है।
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ताजमहल मंदिर नहीं, ताजमहल एक डोम है
ताजमहल को लेकर जो विवाद उठते हैं वे गलत हैं- भोपाल आए एएसआई के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक पद्मश्री केके मोहम्मद ने कहा कि देश भर में मैंने मंदिरों पर ही काम किया है। उन्होंने साफतौर पर कहा कि ताजमहल मंदिर नहीं है. केके मोहम्मद ने कहा कि ताजमहल को लेकर जो विवाद उठते हैं वे गलत हैं। ताजमहल एक डोम है।
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ज्ञानवापी के पत्थरों की कार्बन डेटिंग नहीं कर सकते
मुस्लिमों को अयोध्या, मथुरा और बनारस में पूजा स्थलों से अपना अधिकार छोड़ देना चाहिए- पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने यह भी कहा कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का कानून अपनी जगह है लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय है कि मुस्लिमों को अयोध्या, मथुरा और बनारस में पूजा स्थलों से अपना अधिकार छोड़ देना चाहिए। रही बात ज्ञानवापी की तो यहां के पत्थरों की कार्बन डेटिंग नहीं कर सकते क्योंकि इसके लिए उसी तरह का मटेरियल चाहिए।
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बटेश्वर में 120 मंदिरों में काम होना बाकी
उन्होंने बताया कि बटेश्वर मंदिर पर 200 मंदिरों की शृंखला है। इसमें से मैंने 80 मंदिरों पर काम किया। वहां अब भी 120 मंदिरों में काम होना बाकी है। यह काम सरकार को करना चाहिए था लेकिन पिछले आठ सालों से क्या हुआ पता नहीं। पिछले आठ सालों में एक भी मंदिर का रीकंस्ट्रक्शन नहीं हुआ।