अब पहले ही पता चल चल जाएगा, जंगल में कहां लगने वाली है आग
नई दिल्ली। जंगल में लगने वाली आग भी पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। इससे न सिर्फ हर साल सैकड़ों किलोमीटर जंगल जलकर नष्ट हो रहा है बल्कि आक्सीजन का एक बड़ा स्रोत भी हम खो रहे है। इस संकट से निपटने के लिए भारतीय वन सर्वेक्षण ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसमें जंगल में कहां आग लगने वाली है इसका अब पहले ही पता चल जाएगा। संबंधित राज्यों को अलर्ट जारी कर दिया जाएगा। साथ ही पूरी जानकारी भी साझा की जाएगी।
अब तक जंगल में आग लगने के बाद ही ऐसे अलर्ट जारी किए जाते थे
जंगल में आग लगने की घटनाओं को लेकर अलर्ट जारी करने की यह व्यवस्था लंबे समय से चली आ रही है। लेकिन अब तक जंगल में आग लगने के बाद ही ऐसे अलर्ट जारी किए जाते थे। ऐसे में जब तक अमला पहुंचता था, तब तक काफी देरी हो चुकी होती थी। जंगल का एक बड़ा हिस्सा आग की चपेट में आ जाता था। नई तकनीक के आधार पर हफ्ते भर पहले ही अलर्ट कर दिया जाएगा। इसके आधार पर पूरे क्षेत्र को सुरक्षित किया जा सकेगा। साथ ही उस क्षेत्र में ऐसी कोई भी गतिविधि संचालित करने से रोकेगा जो आग लगने में सहायक है।
2019 में यह तकनीक विकसित की गई यह तकनीक
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और भारतीय वन सर्वेक्षण के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2016 में ही ऐसी तकनीक पर काम शुरू किया गया था। लंबे अध्ययन और शोध के बाद 2019 में यह तकनीक विकसित की गई। इस बीच इस पर लंबा ट्रायल भी चला। कोरोना काल में यह रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी थी, लेकिन अब कुछ नए बदलावों के साथ नए सिरे से देश भर में इस्तेमाल में लाया जा रहा है।
वर्ष 2020-21 में जंगल में आग लगने की कुल 3.45 लाख घटनाएं
गौरतलब है कि जंगल में आग की बढ़ी घटनाओं की अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है, कि वर्ष 2018-19 में देश भर में जंगल में आग लगने की कुल 2.10 लाख घटनाएं रिपोर्ट हुई थी, जबकि वर्ष 2020-21 में जंगल में आग लगने की कुल 3.45 लाख घटनाएं रिपोर्ट हुई।
सरिस्का बाघ अभयारण्य में लगी आग को लेकर भी पहले ही अलर्ट जारी किया गया था
इस तकनीक के तहत नासा के फायर वेदर इंडेक्स (एफडब्लूआई) और भारतीय मौसम विभाग के तापमान व वर्षा के आंकड़ों का विश्लेषण कर के आग का अनुमान लगाया जाता है। इसके जरिए उस क्षेत्र में तापमान के बढ़ने घटने और आद्रता का लगातार आकलन किया जाता है। तापमान लगातार बढ़ रहा हो और ड्राइनेस हो तो आग लगने आशंका रहती है। वन क्षेत्र की पहचान भारतीय वन सर्वेक्षण के तैयार किए गए फारेस्ट मैप व जीआईएस ( जियोग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम ) की मदद से की जाती है। इस साल राजस्थान के सरिस्का बाघ अभयारण्य में लगी आग को लेकर भी पहले ही अलर्ट जारी किया गया था। हालांकि अलर्ट को गंभीरता से नहीं लिया गया था, इसके चलते पर्याप्त इंतजाम नहीं रखा गया था। जिससे आग काफी भयावह हो गई थी। जिसे बुझाने में सेना के हेलीकाप्टरों की मदद लेनी पड़ी।
भारत की तरह सटीक विश्लेषण करने में सक्षम नहीं विकसित देशों की तकनीक
जंगल में कहां और कब आग लगने वाली है इसकी जानकारी जुटाने की यह तकनीक मौजूदा समय में दुनिया के कई विकसित देशों के पास है। भारतीय वन सर्वेक्षण ( एफएसआई ) का दावा है कि यह तकनीक कनाडा, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे विकसित देशों में प्रयोग में ली जा रही है। लेकिन भारत की तरह सटीक विश्लेषण करने में सक्षम नहीं है। इसकी वजह भारत इसके आकलन में फारेस्ट मैपिंग और जीआइएस आदि की मदद भी लेता है। जिससे यह जानकारी ज्यादा सटीक मिलती है।