2030 तक भारत में चलने लगेगी प्रदूषण मुक्त हाइड्रोजन ट्रेन!
नई दिल्ली। हाइड्रोजन ट्रेन की परिकल्पना तैयार करने वाला भारतीय रेल वैकल्पिक ईंधन संगठन (आइआरओएएफ) पर ताला लग गया है। रेल मंत्रालय ने इसे बंद करने की घोषणा कर दी है। अब इस हरित रेल की परिकल्पना को साकार करने की जिम्मेदारी उत्तर रेलवे के कंधों पर है। हाइड्रोजन ट्रेन से संबंधित सभी काम उत्तर रेलवे करेगा। रेलवे का दावा है कि प्रशासनिक निर्णय से इस महत्वपूर्ण परियोजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसे समय से पूरा किया जाएगा।
वर्ष 2017 में सौर ऊर्जा वाली डीईएमयू ट्रेन बनाने में सफलता मिली
भारतीय रेलवे में पर्यावरण अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इस संगठन का स्थापना की गई थी। रेलवे में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इसके द्वारा कई कदम उठाए गए। मालगाड़ी में लगने वाले गार्ड वैन में सौर ऊर्जा के उपयोग के साथ ही वर्ष 2017 में सौर ऊर्जा वाली डीईएमयू (डीजल मल्टीपल यूनिट) ट्रेन बनाने में सफलता मिली। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर ईंधन के अन्य विकल्पों पर भी काम किया गया। संगठन ने वर्ष 2015 सीएनजी से चलने वाली डीएमयू तैयार की थी। उसके बाद जैविक ईंधन से चलने वाला इंजन पटरी पर उतारा गया।
शुरुआत में दो डीएमयू रेक में इसके अनुरूप बदलाव किया जाएगा
अब भारत में हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की दिशा में काम शुरू किया गया है। अभी तक जर्मनी और पौलेंड में इस ईंधन से ट्रेन चलाने का परीक्षण किया गया है। भारत में डीएमयू इस ईंधन के इस्तेमाल का फैसला किया गया है। शुरुआत में दो डीएमयू रेक में इसके अनुरूप बदलाव किया जाएगा। सबसे पहले जींद-सोनीपत रेलखंड (89 किलोमीटर) पर हाइड्रोजन से डीएमयू चलेगी। संगठन ने इसके लिए निविदा जारी की थी।
प्रत्येक वर्ष ईंधन पर खर्च होने वाले 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी
निविदा खुलने की तिथि पांच अक्टूबर निर्धारित की गई है। हाइड्रोजन से डीएमयू चलाने से प्रत्येक वर्ष ईंधन पर खर्च होने वाले 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी। इसके साथ ही प्रत्येक वर्ष 11.12 किलो टन कार्बन फुटप्रिंट और 0.72 किलो टन पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन भी रुकेगा।
ट्रेनों में सौर ऊर्जा के उपयोग और अन्य वैकल्पिक ईंधन का काम रेलवे बोर्ड देखेगा
अधिकारियों का कहना है कि आइआरओएएफ को बंद करने का फैसला प्रशासनिक है। इससे किसी भी परियोजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ट्रेनों में सौर ऊर्जा के उपयोग और अन्य वैकल्पिक ईंधन का काम रेलवे बोर्ड देखेगा। इससे संबंधित टेंडर आदि का काम उत्तर रेलवे के जिम्मे होगा। भारतीय रेल ने वर्ष 2030 तक प्रदूषण मुक्त रेल चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।