ब्रिटिश शासन के ताबूत में आखिरी कील था भारत छोड़ो आंदोलन - राकेश तिवारी

भारत छोड़ो आंदोलन की स्मृति में देश के क्रांतिकारियों का किया पुण्य स्मरण
मण्डला - देश की आजादी में देश के हर नागरिक का योगदान था। विभिन्न क्रांतियों और अहिंसक आंदोलनों के माध्यम से देश में ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी गई। देश का हर नागरिक बस आजादी चाहता था और इसके लिए अंतिम आंदोलन के रूप में गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया। 9 अगस्त 1942 से शुरू हुए इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के ताबूत में आखिरी कील के जैसा था। देशव्यापी इस आंदोलन का प्रभाव देश के विभिन्न हिस्सो में था और अंततः ब्रिटिश शासन को देश छोड़ना पड़ा। देश की आजादी में गांधी जी, नेहरू जी, सरदार पटेल से लेकर तमाम महापुरुषों क्रांतिकारियों का योगदान अमर है। हम स्वाधीनता सेनानियों के सदैव ऋणी रहेंगे उनकी ही बदौलत हम आजाद भारत के स्वप्न को साकार कर सके हैं। यह कहना है जिला कांग्रेस अध्यक्ष एड राकेश तिवारी का, जो सोमवार 9 अगस्त को जिला कांग्रेस कार्यालय में भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के अवसर अपने विचार रख रहे थे। जिला कांग्रेस कार्यालय में इस अवसर पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई और गया गांधी जी, नेहरू जी, सरदार पटेल, डॉ अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर देश के सभी अमर शहीदों क्रांतिकारियों का पुण्य स्मरण किया गया। इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष एड राकेश तिवारी, युवक कांग्रेस अध्यक्ष आशीष आशु जैन, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्यक्ष सैयद मंजूर अली नंदू, कुलदीप कछवाहा, याकूब भाईजान, ज्ञानी परते, भगत वलके, हिमांशु बर्वे, रजनीश रंजन उसराठे सहित काफी संख्या में कांग्रेस जन मौजूद रहे।