सौर ऊर्जा से रोशन होंगी प्रदेशभर के शहरों की सड़कें, लगेगा 200 मेगावॉट का सोलर पॉवर प्लांट
भोपाल। बिजली की लगातार बढ़ती दरों से राहत पाने नगरीय प्रशासन विभाग 200 मेगावॉट का सोलर पॉवर प्लांट लगाने जा रहा है। इस प्लांट से प्रदेशभर के शहरों की सड़कें सौर ऊर्जा से रोशन होंगी। साथ ही सोलर ऊर्जा से मिलने वाली सस्ती बिजली से निकायों का खर्च कम होगा।
प्रोजेक्ट को पीपीपी मोड पर देने की मंशा
विभाग की मंशा इस प्रोजेक्ट को पीपीपी मोड पर देने की है। निजी कंपनी को इस पर 800 करोड़ तक खर्च करने पड़ेंगे। इसके बदले 25 साल तक बिजली खरीदी जाएगी। अभी निकायों को 600 मेगावॉट बिजली की जरूरत होती है।
विभाग हर माह 75 करोड़ का भुगतान बिजली बिलों पर करता है
चुंगी क्षतिपूर्ति से मिलने वाली राशि से विभाग हर माह 75 करोड़ का भुगतान बिजली बिलों पर करता है। इससे निकायों के सामने वेतन भुगतान की समस्या खड़ी हो जाती है। इस समस्या से बचने के लिए विभाग सोलर प्लांट को लगाने जा रहा है। बता दें कि स्ट्रीट लाइट, पेयजल सप्लाई और एचटीपी से पानी शोधन जैसे प्रोजेक्ट पर सबसे ज्यादा बिजली खर्च होती है।
प्लांट लगाने पर प्रति मेगावॉट 4 करोड़ रुपए खर्च
सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने पर प्रति मेगावॉट 4 करोड़ रुपए खर्च आता है। 4 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। 200 मेगावॉट का प्लांट के लिए 800 एकड़ जमीन और इतनी ही राशि की जरूरत होगी। प्लांट रीवा संभाग या फिर मालवा क्षेत्र में लगाने की योजना है। विभाग कंपनी से अनुबंध कर 25 वर्षों तक बिजली सप्लाई के लिए पैसा देगा।
इंदौर में प्रयोग सफल
इंदौर में पेयजल आपूर्ति के लिए जलूद से पानी पंपिंग की जाती है। इसमें हर माह 25 करोड़ रुपए बिजली बिल आता है। बिजली बचाने के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र लगने से निगम को हर माह 7 करोड़ की बचत होगी। नीमच में 21 मेगावॉट का सौर ऊर्जा और 15 मेगावॉट का पवन ऊर्जा प्लांट लगा रहा है। इससे निगम को हर साल 14 करोड़ की बचत होगी।