वरिष्ठजन ने वनवासी कन्या छात्रावास की छात्राओं की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाई

brijesh parmar
उज्जैन । वनवासी कन्या छात्रावास उज्जैन मैं वरिष्ठजन प्रो.बी के कुमावत ने भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपना जन्मदिवस अनूठे अंदाज में मनाया। उन्होंने परिवार सहित वनवासी कन्या छात्रावास पहुंचकर छात्राओं के बीच न केवल अपना जन्मदिवस मनाया अपितु वहां अध्ययनरत वनवासी कन्याओं के 1 वर्ष की शिक्षा की जिम्मेदारी भी उठाई। इस कार्य में अन्य वरिष्ठजनों ने भी सहयोग की घोषणा की है।
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सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं: डॉ.मोहन गुप्त
आयोजन के दौरान पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं पूर्व संभागायुक्त डॉ.मोहन गुप्त ने कहा कि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। दूसरों को खुशी देकर ही असली खुशी मिलती है। यही भारतीय संस्कृति है। श्री बी के कुमावत अपने जन्मदिवस पर छात्राओं के बीच आकर खुशियां बांटते हैं, यह जन्मदिवस की सार्थकता है। छात्रावास की अधीक्षिका मैडम प्रीति तेलंग दिनरात आदिवासी कन्याओं की देखभाल करती हैं, उनकी सेवा भी सराहनीय है। डॉ मोहन गुप्त ने भी कन्या छात्रावास की एक बच्ची का एक वर्ष का अध्ययन व्यय उठाने की घोषणा की।
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विद्वान सर्वत्र पूज्यते: बालकृष्ण कुमावत
श्री बालकृष्ण कुमावत ने अच्छे विद्यार्थियों के गुण बताए। कागचेस्टा, बकोध्यानम , स्वाननिद्रा, स्वल्पाहारी और गृहत्यागी ये पांच अच्छे विद्यार्थी के लक्षण हैं। एक शिक्षित, ज्ञानी और विद्वान का हर जगह सम्मान होता है।विद्वान सर्वत्र पूज्यते। आज आपके सामने इसका जीता जागता उदाहरण डॉ मोहन गुप्त यहां हैं। डॉक्टर मोहन गुप्त मूर्धन्य विद्वान हैं, उन्हें हर विषय का ज्ञान है। वे चलता फिरता विश्वविद्यालय हैं। उनसे हर पल हमें सीखने को मिलता है। आपभी खूब पढ़ें, आगे बढ़ें। गौरतलब है कि श्री कुमावत हर वर्ष अपना जन्म दिवस इन कन्याओं के बीच मनाते हैं। सेवा भारती द्वारा जन सहयोग से संचालित इस आदिवासी कन्या छात्रावास में एक कन्या को पढ़ाने, रहने आदि पर 15,000 रुपए व्यय आता है।शुरूआत मां सरस्वती के पूजन के कार्यक्रम से हुई। वेदज्ञ पंडित राजेंद्र व्यास ने वेद मंत्रों से मां सरस्वती की वंदना की और वेदपाठ से जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।