महाकाल के आंगन में संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने देश के पहले जल स्तंभ का किया लोकार्पण
बृजेश परमार
उज्जैन। बुधवार को सुजलाम जल महोत्सव के अंतर्गत 13 फीट उंचे एवं 60 किलो चांदी के देश के पहले जल स्तंभ का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने महाकाल के आंगन में किया । शंख व झांझ डमरू की मंगल ध्वनि के बीच यह लोकार्पण किया गया।
उज्जैन में 27 से 29 दिसंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन
बाबा महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में 27 से 29 दिसंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में शामिल होने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत उज्जैन पहुँचे। मोहन भागवत ने महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पूजन किए।
मोहन भागवत ने भगवान महाकाल का पंचामृत पूजन अभिषेक किया
श्री महाकालेश्वर मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत महाकाल मंदिर पहुंचकर गर्भ गृह में जाकर भगवान महाकाल का पंचामृत पूजन अभिषेक किया। इसके बाद परिसर में स्थित मार्बल चबूतरे पर चतुर्वेद पारायण स्थल पहुंचे तथा श्री वेद नारायण भगवान की पूजा की। वे मंदिर के शहनाई गेट के समीप मुख्य कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।
यहां भस्म रमैया भक्त मंडल के सदस्यों ने झांझ व डमरू बजाकर तथा बंगाली समाज की महिलाओं ने शंख की मंगल ध्वनि से उनका स्वागत किया। यहां साधु-संत, महामंडलेश्वर, वेदपाठी बटुक सहित अन्य गणमान्यजन मौजूद थे। दर्शन पूजन के पश्चात उन्होंने महाकालेश्वर मंदिर के आंगन में स्थापित वेद ऋचाओं से युक्त देश का पहला जल स्तंभ का अनावरण किया।देश-विदेश में इस जल स्तंभ से जल बचाने का संदेश जाएगा। महाकाल मंदिर के आंगन में स्थापित 13 फीट ऊंचे इस स्तंभ पर चारों वेदों की ऋचाओं को चांदी की कारीगरी से उकेरा गया है। जल स्तंभ 60 किलो चांदी से बनाया गया हैं।डा. भागवत ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच जल स्तंभ का अनावरण किया। कार्यक्रम में मोहन भागवत का श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया।विदित हो कि 27 से 29 दिसंबर तक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय जल महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा हैं। मंगलवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान भी इसमें शामिल हुए थे।
सुजलाम जल स्तम्भ 13 फीट उंचा एवं 60 किलो चांदी का है
मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक आर के तिवारी के अनुसार श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुमंगल सुजलाम जल महोत्सव के क्रम में 05 दिसम्बर से जारी चतुर्वेद पारायण महाअनुष्ठान सम्पन्न हुआ जिसकी पुर्णाहुति एवं नवनिर्मित जल स्तम्भ का अनावरण बुधवार को किया गया।
"जल स्तम्भ" का निर्माण शुद्ध चांदी से उंज्जैन के कारीगरों ने चार सप्ताह की अथक मेहनत से किया है।पंच महाभूतों में से एक ""जल"" तत्व के प्रतीक स्वरूप शुद्ध चांदी ( लगभग 60 किलो) से निर्मित्त स्तम्भ पर चारो वेदों की जल के महत्व को रेखांकित करती एक-एक ऋचा संस्कृत में व उसका सरल हिंदी में अनुवाद अंकित है।जो कि न सिर्फ ""जल"" के महत्व को प्रतिपादित करती है अपितु आध्यात्मिक, धार्मिक पूर्णता को भी समाहित करती है। जल कुंड के मध्य में जल स्तंभ स्थापित हैं। देश व दुनिया को जल का महत्व बताने के लिए जल स्तंभ स्थापित किया गया है।