शराब और रेत माफिया संजय शर्मा को टिकट दिया तो सामूहिक इस्तीफा

शराब और रेत माफिया संजय शर्मा को टिकट दिया तो सामूहिक इस्तीफा

कांग्रेस में कलह: कांग्रेस में शामिल भाजपा नेताओं को टिकट का विरोध

कांग्रेस में ‘माफिया’ संजय और ‘सरगना’ किरार पर कलह

भोपाल। हाल ही में जो भाजपा नेता कांग्रेस में शामिल हुए, उन्हें टिकट देने की अटकलों पर पार्टी के उन कार्यकर्ताओंं में विरोध की स्थिति बन रही है, जो टिकट के लिए दावेदार हैं। विजय राघौगढ़, तेंदूखेड़ा, कटनी, सिहोरा सहित अन्य सीटों पर कांग्रेस में शामिल हुए भाजपा नेताओं को टिकट देने की चर्चाएं हैं। ऐसे में पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में बागवती तेवर देखने को मिल रहे हैं। साथ ही तर्क भी दे रहे हैं खुद राहुल गांधी ने ही बोला था कि भाजपा से आने वाले लोगों को पांच साल पार्टी का काम करना पड़ेगा। उसके बाद ही उन्हें टिकट मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। वहीं राहुल की मौजूदगी में भाजपा छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले तेंदूखेड़ा विधायक संजय शार्म के खिलाफ नरसिंहपुर में कांग्रेस नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। यहां तक कि कांग्रेस से टिकट की दावेदारी ठोक रहे 19 दावेदारों ने अपने समर्थकों के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखकर दो टूक शब्दों में कह दिया है कि अगर भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए शराब और रेत माफिया संजय शर्मा को पार्टी ने टिकट दिया तो सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। इस पत्र के बाद प्रदेश कांग्रेस में भूचाल आ गया है। इस पर कांग्रेस बड़े नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। गौरतलब है कि भाजपा में संजय शर्मा की टिकट तेंदूखेड़ा से उदय प्रताप का नाम सामने आने से खतरे में दिख रही थी। ऐसे में संजय ने भाजपा को छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस में लाने के पीछे सुरेश पचौरी, तरुण भानोट लखन घनघोरिया की अहम भूमिका मानी जा रही है। संजय के भाजपा से जाने से न सिर्फ तेंदूखेड़ा बल्कि नरसिंहपुर जिले की अन्य तीनो सीटों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। गड़बड़ाएगा चुनावी गणित तेंदूखेड़ा किरार बहुल सीट है। 35 हजार से ज्यादा किरार मतदाता हैं। यहां ब्राम्हण दूसरे स्थान पर हैं। ऐसे में एक ब्राम्हण प्रत्याशी का भाजपा छोड़ जाना भी भाजपा का चुनावी गणित गड़बड़ा जाएगा। पिछले चुनाव में इसी सीट से कांग्रेस की टिकट न मिलने से कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए सांसद उदय प्रताप को लेकर जिले में भाजपा की ऐसी लहर चली की जिले की चारों सीटों पर भाजपा छा गई। ऐसे मे जिले की ये चारों विधानसभा भाजपा के कब्जे में है। दावेदारों का टूट रहा धैर्य भाजपा या अन्य दलों से कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं को टिकट देने की अटकलें बगावतियों की ताकत को बढ़ा रही हैं। टिकट वितरण हो रही देरी से उम्मीदवारों के साथ समर्थकों का धैर्य टूट रहा है। वजह है कि जैसे-जैसे समय गुजर रहा है वैसे-वैसे प्रचार करना भी उतना ही कठिन होगा। अगर सूची में विलंब हुआ तो कांग्रेस प्रदेश में जनाक्रोश को उस स्तर पर नहीं भुना पाएगी, जिसकी वह उम्मीद पाले बैठी है। पहले हाथ लगी थी निराशा जिन सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं, इनमें कई सीटों पर पूर्व विधायक, मौजूदा जिला-जनपद, नपा और मंडी अध्यक्ष, जिपं सदस्यों के अलावा अन्य लोग चुनाव लड़ने के लिए जोर लगा रहे हैं। कई ऐसे लोग भी टिकट की मांग कर रहे हैं, जिन्हें पिछले चुनाव में टिकट का भरोसा दिया गया था, लेकिन ऐन वक्त पर इन्हें निराशा ही हाथ लगी थी। पवई, सिंहावल, राजनगर, पुष्पराजगढ़, डिंडोरी, मंडला, केवलारी, जबलपुर बेस्ट सहित अन्य वर्तमान विधायकों की सीटों पर दावेदारों की बड़ी संख्या है। पटवाजी के समय हर कार्यकर्ता की बात सुनी जाती थी संजय शर्मा बोले-सीएम के काम से भाजपा खुश नहीं था कांग्रेस का दामन थामने के बाद देर रात भोपाल पहुंच तेंदूखेड़ा विधायक संजय शर्मा संवाददाताओं से चर्चा में कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्यप्रणाली से मेरा मन कुंठित था इसीलिए सही समय देखकर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गया। मैं भाजपा में 20 साल से काम कर रहा था, लेकिन मुख्यमंत्री के कामों से खुश नहीं था। मध्यप्रदेश भाजपा में कोई हाई कमान नहीं है। हारने वालों की सूची में कहीं हमारा नाम नहीं था, सिर्फ सीएम शिवराज के कारण भाजपा में मन दुखी था। भाजपा में रहकर क्षेत्र में काम नहीं कर पा रहा था। भाजपा में कई लोग हैं जो अच्छे हैं और हमारे समर्थन में हैं, लेकिन अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर कुछ बोल नहीं पाते। पटवाजी के समय ऐसा नहीं था, हर कार्यकर्ता की बात सुनी जाती थी, लेकिन अब किसी की कोई नहीं सुनता।